रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Sunday, July 14, 2013
जरूर सोचना....
रूक जाओ जरा देर के लिए जब लगे प्यार आदत में तब्दील हो चली है और अब यह उतना ही सामान्य रह गया है जैसे रोजमर्रा की बातें तब एक बार ठहरना और जरूर सोचना प्यार के गोमुख के आगे कोई हिमशिला तो नहीं............ तस्वीर--साभार गूगल
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन बेचारा रुपया - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत.
ReplyDeleteरामराम.
वाह...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर बात कही....
अनु
वाह.बहुत खूब,सुंदर अभिव्यक्ति,,,
ReplyDeleteek katu sach....
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर