कही तुमने मुझसे
बार-बार वो बातें
जिनका मेरे लिए
न कोई अर्थ है
ना ही अस्तित्व
जो मैं पढ़ना चाहूं
तुम्हारे आंखों की
अनदेखी लिपियां
कहो कौन सी कूट का
इस्तेमाल करूं
मैं ढूंढती रहती हूं
कोई ऐसा स्रोत
ऐसी किताब
जो आंखों की भाषा को
शब्दों में बदलती हो
है ये ईसा पूर्व की या
सोलहवीं सदी
की सी बात
कि हमारे बीच से
शब्द अदृश्य ही रहे हैं
अब तुम पढ़ना
मेरा मौन, सहना
मेरी अनवरत प्रतीक्षा
और मैं कूट-लिपिक बन
पढूंगी, आंखों की अनदेखी लिपियां
तस्वीर जो इन आंखों को भायी..
अनदेखी लिपिया , बहुत सटीक चित्रण
ReplyDeleteविचारणीय भावों की अभिव्यक्ति आभार अभिनेता प्राण को भावपूर्ण श्रृद्धांजलि -शालिनी कौश....आप भी पूछें सन्नो व् राजेश को फाँसी की सजा मिलनी चाहिए
ReplyDelete.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN हर दौर पर उम्र में कैसर हैं मर्द सारे ,
विचारणीय भावों की अभिव्यक्ति आभार
ReplyDeletesunadar v sarthak abhivyakti .aabhar
ReplyDeleteजो मैं पढ़ना चाहूं
ReplyDeleteतुम्हारे आंखों की
अनदेखी लिपियां
कहो कौन सी कूट का
इस्तेमाल करूं
बहुत ही खूबसूरत रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
नए बिम्ब के साथ .. कौन सी कूट का इस्तेमाल करूं .. वाह ...
ReplyDeleteअब तुम पढ़ना
ReplyDeleteमेरा मौन, सहना
मेरी अनवरत प्रतीक्षा
और मैं कूट-लिपिक बन
पढूंगी, आंखों की अनदेखी लिपियां
इन सब के बाद बहुत कठिन होता है कूट लिपिक बन अनदेखी लिपियों को पढना.क्योंकि बे अर्थ,बेअस्तित्व की बातों का कोई अंत नहीं होता,और इन्हें करने वाले के कोई मगज नहीं होता.बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति इस हेतु बहुत बधाई.
kuchh nya sa..bahut sunder
ReplyDeleteवाकई अब अपनों के बीच शब्द गायब होते जा रहें हैं
ReplyDeleteप्रेम की गहराई को शब्द देती सुंदर रचना
बहुत खूब
बधाई
अनदेखी लिपियाँ...
ReplyDeleteपढ़ी ही जानी चाहिए!
बहुत बहुत सुंदर
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