Sunday, June 30, 2013

आस भी है...


उजास भी है, शाम उदास भी है
वो दूर हैं मगर, बहुत पास भी हैं
मिलना-पाना, बात मुकद्दर की है
मिलेंगे अब अगले जन्म,ये आस भी है...



5 comments:

  1. आस हो तो जीवन का मकसद भी है ...

    ReplyDelete
  2. आस पर दुनिया जीती है,आस पर फलक टिका है, सुन्दर प्रस्तुति..

    ReplyDelete
  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार८ /१ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है।

    ReplyDelete
  4. उत्तराखंड त्रासदी : TVस्टेशन ब्लाग पर जरूर पढ़िए " जल समाधि दो ऐसे मुख्यमंत्री को"
    http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/blog-post_1.html?showComment=1372748900818#c4686152787921745134

    ReplyDelete

अगर आपने अपनी ओर से प्रतिक्रिया पब्लिश कर दी है तो थोड़ा इंतज़ार करें। आपकी प्रतिक्रिया इस ब्लॉग पर ज़रूर देखने को मिलेगी।