Friday, June 7, 2013

दुनि‍यां की भीड़ में...


चाहती थी
तुम
पहले मेरे हो
फि‍र जमाने के होना
तो कोई बात नहीं

तुम चाहते हो
पहले सारी दुनि‍या के हो लो
तब वापस
मेरे पास आओ

मुझको
ये मंजूर नहीं
तुम्‍हारी
वो फि‍तरत नहीं
नतीजा....

तुम हो गए अकेले
और मैं खो गई
दुनि‍यां की भीड़ में.....


तस्‍वीर--साभार गूगल 

6 comments:

अज़ीज़ जौनपुरी said...

सुंदर रचना
बढिया भाव

Onkar said...

सुन्दर रचना

Unknown said...

सुन्दर रचना

M VERMA said...

कशमकश की सही तस्वीर
ख़ूबसूरती से

sushila said...

जो दिल नहीं चाहता अक्सर वही होता है.....प्रेम...है ना अजूबा !

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति रश्मि।

कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत सुन्दर भाव , सुंदर अभिव्यक्ति !

अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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