Saturday, June 29, 2013

बहुत याद आएगी.....


खोल दो 
खि‍ड़कि‍यां सारी
हटा दो पर्दे भारी
आने दो सुबह का उजास
फेंक दो बुहारकर 
सारी उदासी
सारी नाकामी
कि इन्‍हें पांवों तले
रौंदने पर ही
खि‍लता है
उम्‍मीद का कंवल

* * * *
आओ सांझ
कर लूं तेरा भी स्‍वागत
सुनहरी धूप
पीली आभा में बदल
मेरे चेहरे पर
ठहर जाएगी
जो होकर भी नहीं है
पास मेरे
अब देखो उनकी
मुझे
बहुत याद आएगी

* * * *
कालि‍मा हरने को
कि‍या है रौशन
एक दि‍या
ऐ रात..
है बहुत अंधेरा मगर
उम्‍मीद के टि‍मटि‍माते दि‍ए से
सारी रात गुजर जाएगी
मेरी आंखें टि‍की है
रौशनी के उद़गम पर
सुबह के उजाले में
अजा़न की आवाज
संग
दूर देस से उनकी खबर आएगी.....

15 comments:

Guzarish said...

आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा सोमवार [01-07-2013] को
चर्चामंच 1293 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
सादर
sarita bhatia

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर उम्दा अभिव्यक्ति ,,,

RECENT POST: ब्लोगिंग के दो वर्ष पूरे,

संजय जोशी "सजग " said...

बहुत सुंदर ...rashmi...जी

रचना दीक्षित said...

फेंक दो बुहारकर
सारी उदासी
सारी नाकामी
कि इन्‍हें पांवों तले
रौंदने पर ही
खि‍लता है
उम्‍मीद का कंवल.

बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति. सार्थक सन्देश.

Rajendra kumar said...

बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती आभार ।

अज़ीज़ जौनपुरी said...

सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती आभार

dr.mahendrag said...

है बहुत अंधेरा मगर
उम्‍मीद के टि‍मटि‍माते दि‍ए से
सारी रात गुजर जाएगी आशा इंसान में कितनी उम्मीद भर देती है?सुन्दर कविता.

dr.mahendrag said...

है बहुत अंधेरा मगर
उम्‍मीद के टि‍मटि‍माते दि‍ए से
सारी रात गुजर जाएगी आशा इंसान में कितनी उम्मीद भर देती है?सुन्दर कविता.

Aditi Poonam said...

बहुत सुंदर और सार्थक रचना ..

विभूति" said...

भावो को संजोये रचना......

Anonymous said...

सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती आभार

Darshan jangra said...

सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती आभार

Ranjana verma said...

सुंदर रचना और ... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .......!!

Ranjana verma said...

सुंदर रचना और ... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .......!!

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर
बहुत सुंदर