कई बार शब्द काफी नहीं होते
ये यकीन दिलाने को
कि दिल में वही है
जो जुबां कह रही है
ऐसे में चाहता है मन
हरेक रोम में जुबां होती
जो कह पाती बारी-बारी से
जो था, जितना था, वही था
और दो हाथों के बजाय
होते हजार हाथ
जो कसकर तुम्हें बाजुओं में
कह पाते कि अब
जाकर दिखाओ
इस गुंजलक से बाहर....
* * * * * * * *
जानां....
वजह तुम ही हो मेरी मुस्कराहट की
बगैर तेरे बड़ी खोखली है ये जिंदगी
तस्वीर--साभार गूगल
5 comments:
कई बार शब्द काफी नहीं होते
ये यकीन दिलाने को
कि दिल में वही है
जो जुबां कह रही है
बहुत सुन्दर लेख ,
सच्चाई को शब्दों में बखूबी उतारा है आभार मोदी व् मीडिया -उत्तराखंड त्रासदी से भी बड़ी आपदा
आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
प्यार ऐसे ही बांध रखना चाहता है पर...हरेक को थोडी स्पेस चाहिये ।
आपकी पोस्ट को कल के ब्लॉग बुलेटिन श्रद्धांजलि ....ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ...आभार।
उत्क्रुस्त , भावपूर्ण एवं सार्थक अभिव्यक्ति
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