रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
बहुत सुंदर रचनाबहुत सुंदर
मिट्टी - कितने रूप,परिणति वही !
Very nice.VinniePlease visit my blog"Unwarat.com"After finishing stories & articles do give your comments.Vinnie
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(15-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।सूचनार्थ!
सच कहा आपने रश्मिजी, मिट्टी को कोई भी रोज माथे पर नहीँ लगाता । भाव अति सुन्दर । बधाई ।
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बहुत सुंदर रचना
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मिट्टी - कितने रूप,परिणति वही !
ReplyDeleteVery nice.
ReplyDeleteVinnie
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Vinnie
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Vinnie
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(15-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
सच कहा आपने रश्मिजी, मिट्टी को कोई भी रोज माथे पर नहीँ लगाता । भाव अति सुन्दर । बधाई ।
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