खो गए सारे शब्द
देता नहीं कोई
एक आवाज भी अब
जबकि
जानता है वो
वही थी एक आवाज
मेरे जीने का संबल
वो जा बैठा है
दूर...इतनी दूर
जहां मेरा रूदन
वो सुनकर भी नहीं सुनता
ना ही
पलटकर देखता है कभी
एक बार
रेत के समंदर में
रोज उठता है
एक तूफान
मेरे वजूद को ढक लेती है
रेत भरी आंधियां....
आस भरी आंखों में अब है
रेत....केवल रेत
मिर्च सी भरी है आंखों में....अब रोउं भी तो कैसे....देखो जानां....एक तेरे न होने से क्या-क्या बदल जाता है.....
तस्वीर--साभार गूगल
8 comments:
nice lines ,रेत के समंदर में
रोज उठता है
एक तूफान
मेरे वजूद को ढक लेती है
रेत भरी आंधियां....
आस भरी आंखों में अब है
रेत....केवल रेत
sacchi bat ak ki kami ko koi poora nahi kar pata .....
रेत भरी आंधियों में कुछ साफ़ नजर आये कैसे :)
वास्तविक रेत की आंधियों का सामना कर रहे है इन दिनों !
हम्म..... बहुत खूब ।
एक तेरे न होने से क्या-क्या बदल जाता है.....
मेरी परिभाषा बदल जाती है. मौसमो के रुख बदल जाते है... और् तेरे होने से रेत भी मखमली हो जाती है....
अच्छी रचना
बहुत सुंदर
वाह,बहुत खूब
बेहद ही खूबसूरत भाव ...खो गए सारे शब्द
देता नहीं कोई
एक आवाज भी अब
जबकि
जानता है वो
वही थी एक आवाज
मेरे जीने का संबल...गज़ब !!
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