कि ढल गया सूरज.....
अब भी खड़ी हूं अलकनंदा के तट पर
इंतजार में
कि ढल गया सूरज, तो क्या
मुरझा गए हाथों के फूल
तो क्या
किया था तुमने वादा
शाम का
कि सूरज जब हो उतावला
जाएगा संध्या से मिलने
मैं भी उतनी ही बेताबी से
आउंगा तुमसे मिलने
बस वहीं करना तुम मेरा इंतजार
अब तो ढल गई शाम, बताओ न
कहां हो तुम.....
तस्वीर--साभार गूगल
14 comments:
ati uttam...................kavita
aagrh h ki ... isme bhi shamil ho....
http://anandkriti007.blogspot.com
अति सुन्दर दिल को छू लेनेवाली रचना..
:-)
बहुत सुन्दर। बधाई!
intazaar kaa bahut sundar chitran. waise intazaar ka bhe apna ek anand hotaa hai jo milne par samapt ho jata hai..
bahut hi sundar rachna
wah wah, talash jari rakhiye, bhawnao ko khoobshurat shabdon me piro diya ahi
सुंदर रचना रश्मि जी....
इंतज़ार का अपना मज़ा होता है....
बेहतरीन रचना
बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति !!
पधारें बेटियाँ ...
इंतज़ार के पल कटते नहीं ..... बेहतरीन रचना
सुन्दर दिल को छू लेनेवाली रचना.
bahut sundar ...aapko fb par request bhejne ki koshish ki thi par aapki privacy settings relatives aur close friends ke alava kisi ko allow nahin karti hai.aap apni ore se request bhej dijiyega
maine kuch nayin rachnayen post ki hain.please padh kar apni pratikriya post karen.
regards
http://boseaparna.blogspot.in/
बहुत सुन्दर , बेहतरीन रचना
Atti uttam .. wahh
खुबसूरत रचना
तेरे मन में राम [श्री अनूप जलोटा ]
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