बैठी हूं आंखों में
इंतजार भरकर
जबकि पता है
कोई नहीं आने वाला
जिंदगी की सूनी सड़क पर ....
ऐ मेरी ख्वाहिशों
टीन की छत पर गिरती
बारिश की बूंदों की तरह
मत दे दस्तक..लगातार
कि चला गया सावन...
अब तो मैं हूं...चंद हसीन यादें और उम्र भर का इंतजार्
जानां.....न कहूंगी अब कभी कि तेरे लिए बहुत उदास है कोई
तस्वीर--साभार गूगल
15 comments:
ये इन्तेजार कभी ख़तम नहीं होता, बहुत सुन्दर
.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति . आभार प्रथम पुरुस्कृत निबन्ध -प्रतियोगिता दर्पण /मई/२००६ यदि महिलाएं संसार पर शासन करतीं -अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आज की मांग यही मोहपाश को छोड़ सही रास्ता दिखाएँ .
कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.बहुत खूब
सुन्दर।
सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति !!!
ये इन्तेजार भी.....कमखतसुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति
बहुत ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति,आभार.
इंतज़ार की बे -करारी का बढ़िया बिम्ब .
बढ़िया रचना
Gyan Darpan
sundar
sundar,achhi rachna
बहुत सुन्दर चित्रण किया है, इंतज़ार जो खत्म नहीं होता है . किसी की उम्मीद में बस चुप चाप रोता है.
नीरज 'नीर'
कृपया पधारें
KAVYA SUDHA (काव्य सुधा)
ये मौसम सुहाना,फिजा भीगी भीगी
बड़ा लुफ्त आता अगर तुम भी होते,,,
Recent post: रंग गुलाल है यारो,
उदास सी रचना... कुछ ना कहकर भी बहुत कुछ कह गयी...
~सादर!!!
अब तो मैं हूं...चंद हसीन यादें और उम्र भर का इंतजार्
जानां.....न कहूंगी अब कभी कि तेरे लिए बहुत उदास है कोई...
एक पूरी दास्ताँ बयान करती हों जैसे ...
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