Thursday, March 7, 2013

कोई नहीं आने वाला...



बैठी हूं आंखों में 
इंतजार भरकर 
जबकि‍ पता है 
कोई नहीं आने वाला
जिंदगी की सूनी सड़क पर ....

ऐ मेरी ख्‍वाहि‍शों 
टीन की छत पर गि‍रती
बारि‍श की बूंदों की तरह
मत दे दस्‍तक..लगातार
कि‍ चला गया सावन...

अब तो मैं हूं...चंद हसीन यादें और उम्र भर का इंतजार्
जानां.....न कहूंगी अब कभी कि तेरे लि‍ए बहुत उदास है कोई



तस्‍वीर--साभार गूगल 

15 comments:

अरुन अनन्त said...

ये इन्तेजार कभी ख़तम नहीं होता, बहुत सुन्दर

Shalini kaushik said...

.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति . आभार प्रथम पुरुस्कृत निबन्ध -प्रतियोगिता दर्पण /मई/२००६ यदि महिलाएं संसार पर शासन करतीं -अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आज की मांग यही मोहपाश को छोड़ सही रास्ता दिखाएँ .

Madan Mohan Saxena said...

कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.बहुत खूब

Harihar (विकेश कुमार बडोला) said...

सुन्‍दर।

पूरण खण्डेलवाल said...

सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति !!!

अज़ीज़ जौनपुरी said...

ये इन्तेजार भी.....कमखतसुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति

Rajendra kumar said...

बहुत ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति,आभार.

virendra sharma said...

इंतज़ार की बे -करारी का बढ़िया बिम्ब .

Gyan Darpan said...

बढ़िया रचना
Gyan Darpan

dr.mahendrag said...

sundar

dr.mahendrag said...

sundar,achhi rachna

Neeraj Neer said...

बहुत सुन्दर चित्रण किया है, इंतज़ार जो खत्म नहीं होता है . किसी की उम्मीद में बस चुप चाप रोता है.
नीरज 'नीर'
कृपया पधारें
KAVYA SUDHA (काव्य सुधा)

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

ये मौसम सुहाना,फिजा भीगी भीगी
बड़ा लुफ्त आता अगर तुम भी होते,,,


Recent post: रंग गुलाल है यारो,

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

उदास सी रचना... कुछ ना कहकर भी बहुत कुछ कह गयी...
~सादर!!!

डॉ एल के शर्मा said...


अब तो मैं हूं...चंद हसीन यादें और उम्र भर का इंतजार्
जानां.....न कहूंगी अब कभी कि तेरे लि‍ए बहुत उदास है कोई...
एक पूरी दास्ताँ बयान करती हों जैसे ...