Friday, February 8, 2013

जन्‍मदि‍न की बहुत-बहुत बधाई ......



रोती रही रात
झरती रही मेंह
सि‍मट आई
बूंदे
मेरी आखों और
सारी कायनात की हथेली पर

ये तेरी याद थी
मेरे साथ-साथ
जि‍सने रूलाया
आस्‍मां को भी....

बेसबब रोने की वजह देने वाले
ऐ दि‍लकश आवाज के मालि‍क
तू मुझे बहुत याद आता है........

जन्‍मदि‍न की बहुत-बहुत बधाई .........

तस्‍वीर--साभार गूगल

9 comments:

रविकर said...

सादर नमन ||
शुभकामनायें-

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

गजलों रूह से
परिचय तो आपने कराया
सुरों की बरसात में भीगना
आपने सिखाया
लफ्जों का मीठापन
आवाज की गहराई से
वास्ता आपके कारण ही पड़ा
और तुम ये कैसे जुदा हो गए
हर तरफ थे हर जगह हो गए.....

......................

तुम कल थे आज कहाँ खो गये
अकेला छोड़ तुम फ़ना हो गये
तन्हा तन्हा दू:ख झेलेगे सदा,
जीत, से तुम जगजीत हो गये

अचानक तुम ये कैसे जुदा हो गए
तुम हर तरफ थे हर जगह हो गए
जिक्र,जब भी होगा गजलों का-,
होठों से,गा कर तुम अमर हो गए,,,,

होठों से,गा कर तुम अमर हो गए,,,नमन

RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...

Shalini kaushik said...

aapki post ne ek bar fir hame jagjeet singh ji se jod diya .thanks बहुत सुन्दर व् भावात्मक प्रस्तुति ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

स्व जगजीत सिंह जी को 73वे जन्मदिन पर श्रधान्जली !

ब्लॉग बुलेटिन said...

एक बौछार था वो शख्स - ब्लॉग बुलेटिन ग़ज़ल सम्राट स्व॰ जगजीत सिंह साहब को समर्पित आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Akash Mishra said...

जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई |
आपकी आवाज आज भी उतनी ही ताजा है जितनी कि कल थी |

सादर

Sunil Kumar said...

sadar naman.....

डॉ. मोनिका शर्मा said...

नमन ....सुंदर पंक्तियाँ

HARSHVARDHAN said...

जगजीत जी को नमन और आपकी सुन्दर रचना के लिए आभार।