Friday, February 8, 2013

(प्रपोज डे ) कि दि‍न आज बड़ा खास है...


ज़रा सी मुस्‍कराहट
दो मीठे बोल
थोड़ी सी पीली धूप
मुट़ठी भर मोगरे के फूल

चांदनी की चादर तले
पंगडंडि‍यों की सैर
बारि‍श के झमाझम में
कागज की नाव

कुहासे भरी शाम में
कॉफी की छोटी-छोटी
घूंट लेते
परि‍यों और भूतों के
काल्‍पनि‍क कि‍स्‍से

बस....

इतना ही तो मांगती हूं
मेरे निवेदन पर
'हां' की मुहर लगा दो न
कि दि‍न आज बड़ा खास है........

तस्‍वीर--साभार गूगल

7 comments:

Unknown said...

kya bhav hai, kya andaj hai,vah vahकुहासे भरी शाम में
कॉफी की छोटी-छोटी
घूंट लेते
परि‍यों और भूतों के
काल्‍पनि‍क कि‍स्‍से

बस....

इतना ही तो मांगती हूं
मेरे निवेदन पर
'हां' की मुहर लगा दो न
कि दि‍न आज बड़ा खास है........

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत ही बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति...
अति सुन्दर कोमल अहसास लिए खुबसूरत रचना..
आज तो हां होगी ही... दिन जो बहुत खास है...
:-)

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत ही बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति...
अति सुन्दर कोमल अहसास लिए खुबसूरत रचना..
आज तो हां होगी ही... दिन जो बहुत खास है...
:-)

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत सुंदर पंक्तियाँ...

kumar zahid said...

बहुत खूबसूरत

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सुखद एहसास कराती पंक्तियाँ..

डॉ एल के शर्मा said...

इतना ही तो मांगती हूं
मेरे निवेदन पर
'हां' की मुहर लगा दो न
कि दि‍न आज बड़ा खास है........bahut hi khas ehsaas !!