रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
.सराहनीय अभिव्यक्ति ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
चाक समय का चल रहा, किन्तु आलसी लेट |लसा-लसी का वक्त है, मिस कर जाता डेट |मिस कर जाता डेट, भेंट मिस से नहिं होती |कंधे से आखेट, रखे सिर रोती - धोती |बाकी हैं दिन पाँच, घूमती बेगम मयका |मन मयूर ले नाच, घूमता चाक समय का ||
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.सराहनीय अभिव्यक्ति ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
चाक समय का चल रहा, किन्तु आलसी लेट |
लसा-लसी का वक्त है, मिस कर जाता डेट |
मिस कर जाता डेट, भेंट मिस से नहिं होती |
कंधे से आखेट, रखे सिर रोती - धोती |
बाकी हैं दिन पाँच, घूमती बेगम मयका |
मन मयूर ले नाच, घूमता चाक समय का ||
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