Sunday, February 10, 2013

टैडी डे......



जब भी याद तेरी आई
गले इसे लगाया....

जो कह न पाई तुझसे
सब कुछ इसे बताया...

जब तन्‍हा-उदास हुई
हर वक्‍त इसे साथ पाया...

इस भरी दुनि‍यां में
यही तो है मेरा हमसाया....

मेरा टैडी.....प्‍यारा टैडी....क्‍या तुम्‍हें भी चाहिए टैडी......

तस्‍वीर--साभार गूगल

8 comments:

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर

Unknown said...

सुंदर जब भी याद तेरी आई
गले इसे लगाया....

जो कह न पाई तुझसे
सब कुछ इसे बताया...

जब तन्‍हा-उदास हुई
हर वक्‍त इसे साथ पाया...

इस भरी दुनि‍यां में
यही तो है मेरा हमसाया....

Onkar said...

बहुत कोमल प्रस्तुति

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (11-02-2013) के चर्चा मंच-११५२ (बदहाल लोकतन्त्रः जिम्मेदार कौन) पर भी होगी!
सूचनार्थ.. सादर!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

इसने तो मुझे भी है रूलाया
जब मेरी बिटिया ने
ज़िद करके महंगा टैडी खरीदवाया।
अब वो हो चुकी है बड़ी
लेकिन आज़ भी फुर्सत में
अपनी टैडी के साथ
हमेशा रहती है खड़ी।

Manav Mehta 'मन' said...

bahut sunder ...

Pratibha Verma said...

कोमल प्रस्तुति...

Pratibha Verma said...

कोमल प्रस्तुति...