Wednesday, January 9, 2013

तुम्‍हारे नाम की कॉफी



कहवे की गंध
गहरी सांसों से होते हुए
जब भीतर उतरती है
और
कड़वी कॉफी का स्‍वाद
जब तक
मुंह में बना रहता है
यकीन मानों
तुम्‍हारी याद बड़ी मीठी लगती है मुझे

सुनो.....
तुम्‍हारे नाम की एक और कॉफी पी लूं.....

5 comments:

अरुन अनन्त said...

वाह क्या बात है अनोखी सोंच बहुत ही अच्छी रचना हार्दिक बधाई

दिगम्बर नासवा said...

कितने दौर ओर चलेंगे काफी के ...
उम्र भर उनकी याद जानी नहीं है दिल से ...

सदा said...

ये मीठी याद यूँ ही बनी रहे ...

डॉ एल के शर्मा said...

सुनो.....
तुम्‍हारे नाम की एक और कॉफी पी लूं.....

डॉ एल के शर्मा said...

इसलि‍ए......
ले जाना तुम अपना दि‍या नाम भी
जो हर संबोधन के साथ
यादों में लि‍पटकर
बार-बार मुझ तक आ जाता है
....आने न पाए...क्या बात है खूब !!