Saturday, January 5, 2013

इकरार तो है.....

मुद़दत बात गूंजी है
कमरे में इतनी सि‍सकि‍यां
चलो, जख्‍मों का सि‍लसि‍ला
अब तलक बरकरार तो है

इन अश्‍कों से मुझको
नहीं है कोई शि‍कवा
उल्‍फत न सही, उनका हमसे
कि‍सी बात पे तकरार तो है

बहुत सादगी से कहते हैं
आज पास हो, कल बढ़ जाएंगी दूरि‍यां
था अब तलक हमसे कोई रि‍श्‍ता
इस बात का इकरार तो है.....

8 comments:

आर्यावर्त डेस्क said...

प्रभावशाली !!
जारी रहें !!

आर्यावर्त बधाई !!

Kailash Sharma said...

जीने के लिए यह अहसास ही काफ़ी है..बहुत सुन्दर और भावपूर्ण...

Onkar said...

बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ

Unknown said...

sundar prastuti,samvednaon se bahi,इन अश्‍कों से मुझको
नहीं है कोई शि‍कवा
उल्‍फत न सही, उनका हमसे
कि‍सी बात पे तकरार तो है

Anju (Anu) Chaudhary said...

अहसास ही अहसास ...बहुत खूब

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

उसके वादे का अब भी यकीन करता हूँ
हजार बार जिसे आजमा कर देख लिया,,,,

recent post: वह सुनयना थी,

Rohitas Ghorela said...

रिश्ते अजर है अमर है ..
दूरियां बढ़ जाने से रिश्ते नहीं टूटते ... लोगों की सोच बदल जाती है।

उत्तम रचना। बधाई स्वीकार करें। :)

recent poem : मायने बदल गऐ

डॉ एल के शर्मा said...

बहुत सादगी से कहते हैं
आज पास हो, कल बढ़ जाएंगी दूरि‍यां
था अब तलक हमसे कोई रि‍श्‍ता
इस बात का इकरार तो है.बहुत सुंदर लिखा है ये