कभी-कभी यूं भी होता है कि आप सच्चे मन से..दिल की गहराईयों से किसी को याद करें....और दस्तक तो हो मगर वो उसकी नहीं होती जिसका आपको इंतजार होता है।
आप फोन लिए उनके कॉल के इंतजार में बैठे हों....तभी ट्रिंग-ट्रिंग.....झपटकर फोन उठाओ तो पता चले.....कोई दूसरा है...अनापेक्षित
बातें उनसे भी अच्छी लगती हैं जो हमेशा से आपके साथ हैं..मगर दिल तो धड़कता है उन्हीं की याद में जिनके लिए पलकें भी झपकने से इंकार करती हैं...
मगर बातें दिल की दिल तक जरूर पहुंचती है....मानती हूं मैं..भले ही कुछ देर लगे
कभी-कभी यूं भी होता है
दिल को पता नहीं होता
और दूर कहीं
जमीं से आस्मां मिल रहा होता है
एक पल में कोई कैसे किसी का हो जाता है.....किसी को आंखों में यूं रख लेता है जैसे आंसू, दुनियां में कुछ चीजें अब भी हैं....जिन्हें समझना बाकी है
अहसास का शुक्रिया...
जब भी लिया इन होठों ने
आपका नाम लिया
ख्वाब की तरह उतरे आंखों में
रूह में समा गए
ये हादसा है या सपना.....वक्त तय करेगा इसे.....चलो देखते हैं........
तस्वीर--साभार गूगल
SAHI KAHA BAHUT SUNDAR
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ReplyDelete'जब तक है जान' फिल्म ने ऐसी कविताओं को पुनर्जीवित किया है । आपकी कविता व फोटोग्राफ बहुत अच्छे हैं । मेरे प्रचार से आपको लाभ पहुॅंचे और लोग आपकी कविता पढ़े ।
ReplyDeleteसुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति विवाहित स्त्री होना :दासी होने का परिचायक नहीं आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
ReplyDeleteसुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति प्रस्तुति विवाहित स्त्री होना :दासी होने का परिचायक नहीं आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
ReplyDeleteबना बतंगड़ बात का, खुरच खुरच अहसास ।
ReplyDeleteवेग स्वांस-उच्छ्वास का, छुवे धरा आकाश ।
छुवे धरा आकाश, काश यह मौन सँदेशा ।
पहुंचे उनके देश, हलचलें-हाल हमेशा ।
स्वप्नों का संसार, लगता रहता लंगड़ ।
मिले तार बेतार, बने ना कभी बतंगड़ ।।
भावनाओं का सुन्दर और प्यारा वर्णन !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ... फिर एक बार आपके ब्लॉग पर आना अच्छा लगा ...
ReplyDeleteबस अहसास के दम पर ये दुनिया कायम है ...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भावनात्मक प्रस्तुति...
ReplyDeleteआप फोन लिए उनके कॉल के इंतजार में बैठे हों....तभी ट्रिंग-ट्रिंग.....झपटकर फोन उठाओ तो पता चले.....कोई दूसरा है...अनापेक्षित
ReplyDeleteबातें उनसे भी अच्छी लगती हैं जो हमेशा से आपके साथ हैं..मगर दिल तो धड़कता है उन्हीं की याद में जिनके लिए पलकें भी झपकने से इंकार करती हैं...सुंदर विरह ,'सप्तक' की तरहा !!