Friday, January 25, 2013

तुम......तुम...


तुम......तुम.....बस तुम

ढलती सांझ में तुम
धवल चांदनी में तुम
चुप सरकती रात में तुम
भोर की पहली कि‍रण में तुम

तुम......तुम.....बस तुम

लबों की हर जुम्‍बि‍श में तुम
आंखों के हर ख्‍वाब में तुम
मुझ तक पहुंची हर आवाज में तुम
आती-जाती हर सांस में तुम

तुम......तुम.....बस तुम



तस्‍वीर--साभार गूगल

9 comments:

कविता रावत said...

फूल से खिली खिली सुन्दर मुस्कुराती प्रस्तुति ....

कविता रावत said...

फूल से खिली खिली सुन्दर मुस्कुराती प्रस्तुति ....

Onkar said...

बहुत सुन्दर रचना

हरकीरत ' हीर' said...

prem kii sunder abhivyakti ....:))

प्रतिभा सक्सेना said...

जित देखूँ तित तू ,
- सुन्दर !

Unknown said...

सुंदर प्रस्तुति |

Pratibha Verma said...

बहुत सुन्दर ...गड्तंत्र दिवस की हार्दिक बधाई ...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
recent post: गुलामी का असर,,,

डॉ एल के शर्मा said...


लबों की हर जुम्‍बि‍श में तुम
आंखों के हर ख्‍वाब में तुम
मुझ तक पहुंची हर आवाज में तुम
आती-जाती हर सांस में तुम

तुम......तुम.....बस तुम...पूरी तरहा समर्पित भाव !