'मैन इन ब्लू'
देखा
कल रात सपने में
आया था
वो
चुप्पा इंसान
बातों के टोकरे
उड़ेल रहा था मुझ पर
मोगरे के फूलों की तरह
फूलों की सुगंध
उसकी
बातों की तरह ही
प्यारी थी
सागर तट पर
डूबते सूरज और
उसके होने के अहसास की
ललाई से
दमक उठा था मेरा चेहरा
अंतहीन बातें
बिना शिकवा
बगैर किसी वादे के
धीरे से
मेरी बिखरी लट को
संवार गया
और
जाते-जाते दे गया
एक 'टाइट हग'
धत्त..
सर्दियों में कहां खिलते हैं
सफेद मोगरे
और सागर तट पर
पांव चूमतीं हैं लहरें
देती नहीं
प्रगाढ़ आलिंगन
चलो...
अब सुबह हो गई...
11 comments:
गजब -
जब---
जबर्दस्त
खूबसूरत !!
:) मन खुश हुआ।
बहुत ख़ूबसूरत रचना...
यह सुबह तो कुछ अलग है. काश हर सुबह ऐसी हो. सुंदर अभिव्यक्ति.
रात गई बात गई .. :-) :-)
बहुत अच्छी प्रस्तुती
बहुत खूबसूरत कविता
सुन्दर रचना हार्दिक बधाई...
कुछ सपने भी सुहाने होते है,बहुत ही सुंदर चित्रण।
कुछ सपने भी सुहाने होते है,बहुत ही सुंदर चित्रण।
'मैन इन ब्लू'
देखा
कल रात सपने में
आया था
वो
चुप्पा इंसान
बातों के टोकरे
उड़ेल रहा था मुझ पर
मोगरे के फूलों की तरह..'मैन इन ब्लू'
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