तुम भले इसे
प्रवाहमयी जीवन में
आई
छोटी सी रूकावट समझो
कह भी लो
मगर जब दिन-रात
भरा-भरा सा लगता हो
और
अल्लसुबह
नींद से जागने के बाद
जबरन
आंखें मींच कर
घंटों लिहाफ़ में पड़़े
किसी के बारे में
लगातार
सोचते चले जाना
प्रेम में होना नहीं
तो कहो
और क्या है............
SUNDAR BHAVO AUR CHTRA SE SAJI SUNDAR PRASTUTI
ReplyDeleteवाह! लाज़वाब अहसास...आभार
ReplyDeleteसुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति कलम आज भी उन्हीं की जय बोलेगी ...... आप भी जाने @ट्वीटर कमाल खान :अफज़ल गुरु के अपराध का दंड जानें .
ReplyDeleteप्रेम है .... हाँ हाँ ये प्यार है
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी पोस्ट के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-01-2013) के चर्चा मंच-1130 (आप भी रस्मी टिप्पणी करते हैं...!) पर भी होगी!
सूचनार्थ... सादर!
बिल्कुल प्रेम मे होने के लिये बस किसी का ख्यालों मे हो्ना काफ़ी है।
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