Friday, January 18, 2013

कहो और क्‍या है......

तुम भले इसे
प्रवाहमयी जीवन में
आई
छोटी सी रूकावट समझो

कह भी लो

मगर जब दि‍न-रात
भरा-भरा सा लगता हो
और

अल्‍लसुबह

नींद से जागने के बाद
जबरन
आंखें मींच कर
घंटों लि‍हाफ़ में पड़़े
कि‍सी के बारे में
लगातार
सोचते चले जाना

प्रेम में होना नहीं
तो कहो
और क्‍या है............

7 comments:

  1. SUNDAR BHAVO AUR CHTRA SE SAJI SUNDAR PRASTUTI

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  2. वाह! लाज़वाब अहसास...आभार

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  3. प्रेम है .... हाँ हाँ ये प्यार है

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी पोस्ट के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-01-2013) के चर्चा मंच-1130 (आप भी रस्मी टिप्पणी करते हैं...!) पर भी होगी!
    सूचनार्थ... सादर!

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  5. बिल्कुल प्रेम मे होने के लिये बस किसी का ख्यालों मे हो्ना काफ़ी है।

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