Thursday, January 17, 2013

सीप की तलाश में...


बहुत देर तक
पसीजी रही
हथेलि‍यां
तुम्‍हारे गर्म स्‍पर्श के
अहसास से....

थि‍रकती रही
एक बूंद
अधरों पर
लरजती रही
सीप की तलाश में...

8 comments:

  1. अद्भुत अभिव्यक्ति..

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  2. थि‍रकती रही
    एक बूंद
    अधरों पर
    लरजती रही
    सीप की तलाश में... भावमय सुंदर पंक्तियाँ,,

    recent post: मातृभूमि,

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  3. पूरी होवे रश्मि की, भगवन शीघ्र तलाश |
    बांचे जो यह पंक्तियाँ, खोवे होश-हवाश |
    खोवे होश-हवाश, गजब दीवानापन है |
    भरे-पुरे अहसास, चलो स्वाति सावन है |
    मिले बूंद को सीप, रहे ना बात अधूरी |
    रविकर का यह तेज, बनाए मोती पूरी ||

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  4. वाह क्या कहने गहरे भाव आपकी सोंच को नमन हार्दिक बधाई

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  5. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (18-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  6. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (19-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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