रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
............ bahut kuch
खूबसूरत !!
अद्भुत अभिव्यक्ति..
थिरकती रहीएक बूंदअधरों परलरजती रहीसीप की तलाश में... भावमय सुंदर पंक्तियाँ,,recent post: मातृभूमि,
पूरी होवे रश्मि की, भगवन शीघ्र तलाश |बांचे जो यह पंक्तियाँ, खोवे होश-हवाश |खोवे होश-हवाश, गजब दीवानापन है |भरे-पुरे अहसास, चलो स्वाति सावन है |मिले बूंद को सीप, रहे ना बात अधूरी |रविकर का यह तेज, बनाए मोती पूरी ||
वाह क्या कहने गहरे भाव आपकी सोंच को नमन हार्दिक बधाई
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (18-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।सूचनार्थ!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (19-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।सूचनार्थ!
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ReplyDeleteथिरकती रही
ReplyDeleteएक बूंद
अधरों पर
लरजती रही
सीप की तलाश में... भावमय सुंदर पंक्तियाँ,,
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पूरी होवे रश्मि की, भगवन शीघ्र तलाश |
ReplyDeleteबांचे जो यह पंक्तियाँ, खोवे होश-हवाश |
खोवे होश-हवाश, गजब दीवानापन है |
भरे-पुरे अहसास, चलो स्वाति सावन है |
मिले बूंद को सीप, रहे ना बात अधूरी |
रविकर का यह तेज, बनाए मोती पूरी ||
वाह क्या कहने गहरे भाव आपकी सोंच को नमन हार्दिक बधाई
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (18-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (19-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
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