शहीद जवान सुधाकर सिंह के चार महीने के अबोध बच्चे भास्कर के नाम, जिसके पिता का सर काटकर दगाबाज ले गए....
तू रोता क्यों है बच्चे
क्या हुआ जो तेरे सर से
साया उठ गया उस पिता का
जो अभी चार महीने पहले ही
तुझे पाकर खुशी से बौराया था
सर कलम कर ले गए उसका
वही
पीठ पर जो हमेशा घोंपता है छुरा....
अब देश मातम मनाएगा
विरोध में कैंडल जलाएगा
अहिंसा के पुजारी हैं कहकर
शांति वार्ता के लिए हाथ बढ़ाएगा
और कुछ दिनों में सब भूल जाएगा....
तुझे नसीब होगी धूल भरी अभावों वाली जिंदगी
फिर भी.....
फख्र से सीना तान कि तू शहीद सिपाही का बच्चा है।
दगाबाज..चालबाज है हमारा पड़ोसी
बार-बार इसने हमें खून के आंसू रूलाया है
फिर भी सियासत वालों ने
सब भूल कदम आगे बढ़ाया है....
न जाने कितने घर उजड़े
न जाने कितनी मांग सूनी हुई
सबको मालूम है
सन 47 से 2013 तक
कितने हुए आघात
हमने किए शांति के प्रयास
और उस 'पाक' का विश्वासघात
हर संसाधन से युक्त हम
बस
सरहद पर अपने वीर गवांते हैं
हर शहीद के शव के आगे
सर अपना झुकाते हैं
और देशभक्त कहलाते हैं....
ऐ मासूम...कल न पूछेगा कोई हाल तेरा
फिर भी.....
फख्र से सीना तान कि तू शहीद सिपाही का बच्चा है।
10 comments:
हर संसाधन से युक्त हम
बस
सरहद पर अपने वीर गवांते हैं
हर शहीद के शव के आगे
सर अपना झुकाते हैं
और देशभक्त कहलाते हैं....
हकीकत का सुन्दर शब्द चित्रण।
सरहद पर अपने वीर गवांते हैं
हर शहीद के शव के आगे
सर अपना झुकाते हैं
और देशभक्त कहलाते हैं....
सच कहती सुंदर पंक्तियाँ,,,,
recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
अमन की आशा या अमन का तमाशा - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
bhut aschi abhivyaki hai....bhut sunder
सच्चाई से कही गयी बात .....
प्रभावशाली ,
जारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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गहरे अहसास का बहुत ख़ूबसूरती से वर्णन किया है |
सच्चाई बयान करती रचना |
आशा
ऐ मासूम...कल न पूछेगा कोई हाल तेरा
फिर भी.....
फख्र से सीना तान कि तू शहीद सिपाही का बच्चा है।
अक्षरश: सच कहा आपने ...
उत्कृष्ट प्रस्तुति सच कहा आपने
क्या बात
बहुत सुंदर
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