Thursday, November 8, 2012

जिंदगी के दो रंग...

1.धूल हर्फों से झड़े तो चमक उठे यादों के जुगनू
गर्द दीवारों से झड़े तो कुछ यादें बेलि‍बास हुई...

मन की कि‍ताब का जो खोला पीला पड़ा हुआ पन्‍ना
कैद अश्‍कों की बारि‍श आज तो बेहि‍साब हुई....


2.कोई तहरीर मि‍टाए तो दि‍ल में कसक होती है
कोई खत कि‍सी का जलाए तो धुंआ उठता है...

जालि‍म..दि‍ल वो भीगा कागज है कि जलता ही नहीं
सीली सी लकड़ी हो जैसे, बस जि‍समें हर वक्‍त धुंआ उठता है....

7 comments:

Dr.NISHA MAHARANA said...

bahut khoob ....rashmi jee ....sulagna hi to hmaari dharohar hai....

Kailash Sharma said...

जालि‍म..दि‍ल वो भीगा कागज है कि जलता ही नहीं
सीली सी लकड़ी हो जैसे, बस जि‍समें हर वक्‍त धुंआ उठता है....

....लाज़वाब! ज़िंदगी के दोनों रूप अंतस को छू गये..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

वाह ,,, बहुत उम्दा ,,,,,

नही शिकवा मुझे कुछ बेवफाई का तेरी हरगिज,
गिला तब हो अगर तूने किसी से भी निभाई हो |

RECENT POST:..........सागर

Unknown said...

बहुत सुंदर रचना |

मेरी नई पोस्ट-बोलती आँखें

Unknown said...

बहुत सुंदर और सटीक,.कोई तहरीर मि‍टाए तो दि‍ल में कसक होती है
कोई खत कि‍सी का जलाए तो धुंआ उठता है...

Onkar said...

बहुत खूबसूरत शेर

Darshan Darvesh said...

आप और आपके पूरे परिवार को मेरी तरफ से दिवाली मुबारक | पूरा साल खुशिओं की गोद में बसर हो और आपकी कलम और ज्यादा रचनाएँ प्रस्तुत करे.. .. !!!!!