रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Wednesday, November 21, 2012
दिल..
यूं तो दिल की लगी को हमने इसलिए छुपा रखा है
कि इनकार-ए-मोहब्बत से कहीं दिल न टूट जाए..
मगर ये न चाहा है कभी कि तुम्हारे सिवा
मेरा दिल कभी और किसी का हो जाए.....
8 comments:
वाह क्या बात है
अरुन शर्मा - www.arunsblog.in
वाह,,,बहुत उम्दा प्रस्तुति,,
recent post...: अपने साये में जीने दो.
bahut hi umda souch hai ji aapki...
waah.
वाह..
बहुत ही सुन्दर मनभावन
प्रस्तुति...
:-)
kya bat hain bahut sundar....
खूबसूरत पंक्तियाँ वाह !!!
kya khoob,:)
sunder
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