मुझको झूठी बातों से बहलाते हो क्यों
आशाओं का झूठा दीप जलाते हो क्यों।।
करो यकीं, मुझे तुमसे कोई शिकवा नहीं
फिर इनकार-ए-मोहब्बत से घबराते हो क्यों।।
मेरी न सही, किसी की मोहब्बत तो रास आई तुम्हें
फिर मेरे बिखरने पर आंसू बहाते हो क्यों......।।
इस तरह से मुझे बर्बाद किया है ,,,,,,, उसने,
ReplyDeleteकि गया कुछ भी नही,और रहा कुछ भी नही,,,,,
RECENT POST : समय की पुकार है,
अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बहुत बढ़िया ...
ReplyDeletedilenadan ..jo thahra isiliye aanshu bhata hai ....bahut acchi prastuti ....rashmi jee...
ReplyDeleteबहुत खूब ....उम्दा :)
ReplyDeleteबहुत खूब ....उम्दा :)
ReplyDeleteबहुत खूब सुन्दर रचना
ReplyDeleteअद्भुत रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर अच्छी रचना
ReplyDeleteमुझको झूठी बातों से बहलाते हो क्यों
आशाओं का झूठा दीप जलाते हो क्यों।।
Recent Post"Khada Hai'
bahut umda rachana
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