रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ,,,,,कौन रोता है किसी और की खातिर ऐ दोस्त,सब को अपनी ही किसी बात पर रोना आया,,,,, रश्मि जी,,,,बहुत दिनों मेरे पोस्ट पर नही आई,,,आइये,,,,आपका स्वागत है,, RECENT POST:..........सागर
तड़पते हैं बहुत तोदिल से आह निकल जाती हैमगर लब नहीं खुलते, औरहमसे कुछ कहा नहीं जाता....bahut marmik abhiwayakti....adhiktar aisee isthiti se do char hona padta hai....
pata nahi comments kahan ja rahe hain..
तड़पते हैं बहुत तोदिल से आह निकल जाती हैमगर लब नहीं खुलते, औरहमसे कुछ कहा नहीं जाता...bahut hi achchi v lajwab postwelcome to my blog...Thank You.
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ,,,,,RECENT POST:..........सागर
तड़पते हैं बहुत तोदिल से आह निकल जाती हैमगर लब नहीं खुलते, औरहमसे कुछ कहा नहीं जाता........वाह! निशब्द करता एक नया अंदाज़..लाज़वाब
कविता ने सबकुछ कह दिया है और जो नहीं कहा जा सका है उसे कहने का कोई उपाय नहीं हैा कविता सहज संप्रेषणीय है, इसके लिए धन्यवाद
बहुत सुंदर
sundar prastuti,............khada hai तड़पते हैं बहुत तोदिल से आह निकल जाती हैमगर लब नहीं खुलते, औरहमसे कुछ कहा नहीं जाता......
दर्द की जब इन्तहा होती है तो आह भी निकलनी बंद हो जाती है बहुत सुन्दर शब्दों में हाले दिल बयान किया है
सुंदर रचना... कभी आना... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
दर्द सहो-आँसू पियो, भर जायेगा पेट।रो-धोकर के मत करो, अपना मटियामेट।।
बहुत सुंदर दर्द से आंख भर आती है मगरहमसे रोया नहीं जाता.......तड़पते हैं बहुत तोदिल से आह निकल जाती हैमगर लब नहीं खुलते, औरहमसे कुछ कहा नहीं जाता......
अगर आपने अपनी ओर से प्रतिक्रिया पब्लिश कर दी है तो थोड़ा इंतज़ार करें। आपकी प्रतिक्रिया इस ब्लॉग पर ज़रूर देखने को मिलेगी।
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ,,,,,
ReplyDeleteकौन रोता है किसी और की खातिर ऐ दोस्त,
सब को अपनी ही किसी बात पर रोना आया,,,,,
रश्मि जी,,,,बहुत दिनों मेरे पोस्ट पर नही आई,,,
आइये,,,,आपका स्वागत है,,
RECENT POST:..........सागर
तड़पते हैं बहुत तो
ReplyDeleteदिल से आह निकल जाती है
मगर लब नहीं खुलते, और
हमसे कुछ कहा नहीं जाता....bahut marmik abhiwayakti....adhiktar aisee isthiti se do char hona padta hai....
pata nahi comments kahan ja rahe hain..
ReplyDeleteतड़पते हैं बहुत तो
ReplyDeleteदिल से आह निकल जाती है
मगर लब नहीं खुलते, और
हमसे कुछ कहा नहीं जाता...
bahut hi achchi v lajwab post
welcome to my blog...
Thank You.
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST:..........सागर
तड़पते हैं बहुत तो
ReplyDeleteदिल से आह निकल जाती है
मगर लब नहीं खुलते, और
हमसे कुछ कहा नहीं जाता....
....वाह! निशब्द करता एक नया अंदाज़..लाज़वाब
कविता ने सबकुछ कह दिया है और जो नहीं कहा जा सका है उसे कहने का कोई उपाय नहीं हैा कविता सहज संप्रेषणीय है, इसके लिए धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeletesundar prastuti,............khada hai तड़पते हैं बहुत तो
ReplyDeleteदिल से आह निकल जाती है
मगर लब नहीं खुलते, और
हमसे कुछ कहा नहीं जाता......
दर्द की जब इन्तहा होती है तो आह भी निकलनी बंद हो जाती है बहुत सुन्दर शब्दों में हाले दिल बयान किया है
ReplyDeleteसुंदर रचना... कभी आना... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
ReplyDeleteदर्द सहो-आँसू पियो, भर जायेगा पेट।
ReplyDeleteरो-धोकर के मत करो, अपना मटियामेट।।
बहुत सुंदर दर्द से आंख भर आती है मगर
ReplyDeleteहमसे रोया नहीं जाता.......
तड़पते हैं बहुत तो
दिल से आह निकल जाती है
मगर लब नहीं खुलते, और
हमसे कुछ कहा नहीं जाता......