न...न
किसी भ्रम में न रहना,
जान लो
मुझे कभी याद नहीं आती तुम्हारी
कभी नहीं खोलती मैं
वो पुराने खत
जो बक्से की तली में बिछे
अखबारों के नीचे छुपा कर रखा है
कभी मैं देखती भी नहीं
उन लिफाफों की तरफ
जिसके एक कोने में
हमेशा लिखा होता था
'इफ अनडिलीवर्ड, प्लीज रिटर्न टू.....'
और उसके ठीक नीचे
मोतियों जैसे अक्षरों में
तुम्हारा पता....
जबकि जानते थे तुम भी
कि
न मेरे घर का दरवाजा
बहुत दिनों तक बंद मिलेगा डाकिए को
और न ही
मेरा पता बदलेगा
फिर भी न जाने क्यों
हर खत के कोने में
अपने भेजे पैगाम की वापसी का
इंतजार रहता था तुम्हें
शायद तुम्हें पता हो यह बात
कि जिस दिन तुम्हारी असलियत
जान जाउंगी
तुम्हें पहचान जाउंगी
खत्म हो जाएगी
बची हुई
खत-ओ-किताबत की रस्म भी...........
वाह रश्मि जी...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत जज़्बात...
वाह..
अनु
Heart touching...
ReplyDeleteThis Diwali Use Some Graphics on Blog
जद्दोजहद की तस्वीर
ReplyDeleteकि जिस दिन तुम्हारी असलियत
ReplyDeleteजान जाउंगी
तुम्हें पहचान जाउंगी
खत्म हो जाएगी
बची हुई
खत-ओ-किताबत की रस्म भी...........
जज्बातों की खूबसूरत प्रस्तुति,,,,वाह बहुत खूब,,,,
RECENT POST LINK...: खता,,,
हर बार की तरह ये पोस्ट भी बहुत अच्छी है.
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा।
अगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।
धन्यवाद !!
http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post.html
आह! कितना सच कहा।
ReplyDeleteवाह ..बहुत सुंदर ....
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteजज्बातों की खूबसूरत प्रस्तुति सुन्दर रचना कि जिस दिन तुम्हारी असलियत
ReplyDeleteजान जाउंगी
तुम्हें पहचान जाउंगी
खत्म हो जाएगी
बची हुई
खत-ओ-किताबत की रस्म भी...........