Wednesday, October 31, 2012

तुम्‍हारे खत...

न...न
कि‍सी भ्रम में न रहना,
जान लो
मुझे कभी याद नहीं आती तुम्‍हारी
कभी नहीं खोलती मैं
वो पुराने खत
जो बक्‍से की तली में बि‍छे
अखबारों के नीचे छुपा कर रखा है
कभी मैं देखती भी नहीं
उन लि‍फाफों की तरफ
जि‍सके एक कोने में
हमेशा लि‍खा होता था
'इफ अनडि‍लीवर्ड, प्‍लीज रि‍टर्न टू.....'
और उसके ठीक नीचे
मोति‍यों जैसे अक्षरों में
तुम्‍हारा पता....
जबकि‍ जानते थे तुम भी
कि
न मेरे घर का दरवाजा
बहुत दि‍नों तक बंद मि‍लेगा डाकि‍ए को
और न ही
मेरा पता बदलेगा
फि‍र भी न जाने क्‍यों
हर खत के कोने में
अपने भेजे पैगाम की वापसी का
इंतजार रहता था तुम्‍हें
शायद तुम्‍हें पता हो यह बात
कि‍ जि‍स दि‍न तुम्‍हारी असलि‍यत
जान जाउंगी
तुम्‍हें पहचान जाउंगी
खत्‍म हो जाएगी
बची हुई
खत-ओ-कि‍ताबत की रस्‍म भी...........

9 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह रश्मि जी...

बहुत खूबसूरत जज़्बात...
वाह..

अनु

Vinay said...

Heart touching...

This Diwali Use Some Graphics on Blog

M VERMA said...

जद्दोजहद की तस्वीर

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

कि‍ जि‍स दि‍न तुम्‍हारी असलि‍यत
जान जाउंगी
तुम्‍हें पहचान जाउंगी
खत्‍म हो जाएगी
बची हुई
खत-ओ-कि‍ताबत की रस्‍म भी...........

जज्बातों की खूबसूरत प्रस्तुति,,,,वाह बहुत खूब,,,,

RECENT POST LINK...: खता,,,

Rohitas Ghorela said...

हर बार की तरह ये पोस्ट भी बहुत अच्छी है.


आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा।
अगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।
धन्यवाद !!

http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post.html

vandana gupta said...

आह! कितना सच कहा।

सु-मन (Suman Kapoor) said...

वाह ..बहुत सुंदर ....

Onkar said...

सुन्दर रचना

Unknown said...

जज्बातों की खूबसूरत प्रस्तुति सुन्दर रचना कि‍ जि‍स दि‍न तुम्‍हारी असलि‍यत
जान जाउंगी
तुम्‍हें पहचान जाउंगी
खत्‍म हो जाएगी
बची हुई
खत-ओ-कि‍ताबत की रस्‍म भी...........