ऐसे न आया करो रोज तुम मेरे ख्वाबों में।
इन खूबसूरत ख्वाबों को हकीकत बनाने को जी चाहता है।।
बिन तुम्हारे अब वक्त कटता ही नहीं।
तुम्हें दिल की हर बात बताने को जी चाहता है।।
जाने ये कैसी चाह है जो हर पल कहती है मुझसे।
कि पास आओ तुम्हारी बाहों में समाने को जी चाहता है।।
कैसे कहूं ''झरना'' उनसे कि समझ लो दिल की बातें।
किसी और के न हो सको, इतना अपना बनाने को जी चाहता है।।
रश्मि जी बेहद उम्दा प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रेममय प्रस्तुति |
ReplyDeleteइस समूहिक ब्लॉग में आए और हमसे जुड़ें :- काव्य का संसार
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बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteअन्दर तक झकझोरती बेहतरीन रचना.
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