1.साजिशों का दौर
फिर गहराया है
पीठ पर नश्तर
किसी ने चुभाया है...
उजाड़कर मेरी
ख्वाबों की दुनिया
मीठी बातों का
देखो मरहम लगाया है.....
2.इन दिनों गुलाब में
रंग तो होता है, खुश्बू नहीं होती
जैसे प्यार के कुछ बरस गुजरने के बाद
प्यार तो होता है, वो शिद्दत नहीं होती....
3.उस शख्स का इंतजार है अभी भी मुझे
जिसने न किया प्यार कभी भी मुझे....
4.जो बाहर है तुममें
गर वो ही अंदर है
तो मानो
दुनिया एक समंदर है
और तुम
उससे निकले एक नायाब मोती......
अच्छी क्षणिकाएं , बधाई
ReplyDelete.इन दिनों गुलाब में
ReplyDeleteरंग तो होता है, खुश्बू नहीं होती
जैसे प्यार के कुछ बरस गुजरने के बाद
प्यार तो होता है, वो शिद्दत नहीं होती....
BAHUT HI SUNDAR
बहुत खूब
ReplyDeleteआज इस ब्लॉग की कई रचनाएं पढ़ी। लाजवाब!!
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