Friday, August 17, 2012

सोलह की उम्र का प्‍यार....

कैसा होता है
सोलह की उम्र का प्‍यार....
पहली बारि‍श की सोंधी खुश्‍बू सा
कच्‍चे अमरूद की गंध जैसा
या
होली के कच्‍चे रंग सा...
कि
सूरज की प्रखर ताप
खुश्‍बू उड़ा दे
कि
वक्‍त की खुश्‍क हवाएं
पोंछ दे दि‍ल से
प्‍यार का सारा रंग....
कच्‍चा सा रंग
और बस..
एक धुंधली सी याद रह जाए
कि
एक सावन ऐसा भी था
झूले की जब उंची पेंगे
पड़ती थी
मन भी उड़ा करता था आकाश में
और
मेंहदी के बेलों की बीच
चुपके से एक नाम लि‍ख
बंद मुठ़ठि‍यों को खोल
बार-बार दुहराया जाता था
वो नाम
जो अब
मेंहदी की तरह ही उतर गया
होंठो से
बताओ तो आखि‍र...
कैसा होता है
सोलह की उम्र का प्‍यार....

6 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  2. कच्ची पकी अम्बियों सा.....खट्टा मीठा...अमराई के नीचे चुप के चखा सा....
    जैसा आपने लिखा ठीक वैसा ही तो होता है सोलह की उम्र का प्यार....

    अनु

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  3. अति सुंदर रचना है , क्यों न बार बार पढूं ?

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  4. बहुत खुबसूरत कोमल अहसास .....

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  5. हृदयस्पर्शी उत्कृष्ट

    --- शायद आपको पसंद आये ---
    1. गुलाबी कोंपलें

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  6. बहुत सुन्दर कविता

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