मैग्नोलिया के फूल और तुम
पर्यायवाची हो जैसे....
जब भी
सफेद फूलों से निकलने वाली खुश्बू
मुझ तक आती है
मेरी आंखों में
तुम और मैग्नोलिया
साथ-साथ झिलमिलाते हो...
सफेद...खूबसूरत..उज्जवल
जिसकी सुगंध
हफ़तों नहीं उतरती जेहन से
ऐसा सुंदर फूल
और ऐसे अतुलनीय तुम
याद है न तुम्हें
मैग्नोलिया का वह पेड़
जहां से हर मुलाकात की याद स्वरूप
एक फूल अपने हाथों से तोड़
दिया करते थे मुझे
अगली मुलाकात तक के
अहसासों को संजोने के लिए
सुनो....इन दिनों
तुम और मैग्नोलिया दोनों
मुझे बहुत याद आते हो..
बहुत याद आते हो.......
सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteमैग्नोलिया तो मैंने नही देखा , लेकिन कविता के भाव सुन्दर है .
ReplyDeleteक्या साथ में प्रदर्शित चित्र मैग्नोलिया का है ?
sundar bhav
ReplyDeleteसुनो....इन दिनों
ReplyDeleteतुम और मैग्नोलिया दोनों
मुझे बहुत याद आते हो
एहसास का यह खूबसूरत बयाँ .. क्या कहने
बहुत अच्छी अहसासों की प्रस्तुति,,,सुंदर रचना,,,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,
सुनो....इन दिनों
ReplyDeleteतुम और मैग्नोलिया दोनों
मुझे बहुत याद आते हो
भावमय करते शब्दों का संगम ... बेहतरीन
आपके एहसास के बयां को मैं कैसे बयां करूं ? इसे शब्द नहीं हैं मेरे पास | अति खूबसूरत |
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