Saturday, June 30, 2012

राजा दि‍ल मांगे.....चवन्‍नी उछाल के

चवन्‍नी यानी 25 पैसे यानी चार आना को हमारे बीच से गए आज एक साल हो गए। पि‍छले वर्ष 30 जून को ही इसने हमें अलवि‍दा कहा था। जाने कि‍सी को उसकी याद आती है कि‍ नहीं...पर मुझे बहुत आती है। दोस्‍तों के बीच कभी यह जुमला बहुत चलता था....क्‍या चवन्‍नी मुस्‍कान दे रहे हो। मैं तो बचपन में अपने पाकेट मनी के रूप में मि‍लने वाले पैसे का वि‍भाजन चवन्‍नी के हि‍साब से ही करती थी। एक समय था कि‍ ये गाना भी खूब चलता था.....राजा दि‍ल मांगे चवन्‍नी उछाल के.....। अब कहां कोई गा पाएगा यह गाना ? गाएगा तो इसका मतलब भी आज की पीढ़ी समझ नहीं पाएगी। अब पैदा होने वाले बच्‍चों को तो चवन्‍नी के बारे में कुछ पता नहीं होगा। मैंने तो ढेर सारे सि‍क्‍के याद की तौर पर सहेज कर रख लि‍ए हैं। अपने बचपन में क्‍या-क्‍या नहीं खरीदती थी इस 25 पैसे से। एक दोना जामुन....एक दोना बेर....मि‍ल्‍क आइसक्रीम....तब आज के तीन रुपये में एक मि‍लने वाला समोसा भी एक चवन्‍नी में मि‍ल‍ जाता था। थोड़े कम हैसि‍यत वाले को भी चवन्‍नी छाप कहकर पुकारा जाता था....पीठ पीछे।
मगर डालर के मुकाबले पैसे के अवमूल्‍यन ने इसकी उपयोगि‍ता ही समाप्‍त कर दी....लि‍हाजा सरकार ने इसे बंद कर दि‍या। एक रुपये के चौथे हि‍स्‍से की उपयोगि‍ता नहीं रही। अब रुपये के नीचे कुछ मि‍लता नहीं है। महंगाई सर चढ़ कर नाच रही है। कि‍शोर दा के इस प्रसि‍द़ध गीत की उपयोगि‍ता भी पर प्रश्‍नचिन्‍ह लग गया.....दे दे मेरा पांच रुपया बारह आना...अभी आठ आने का अस्‍ति‍त्‍व तो है....पर जाने और कि‍तने दि‍न ?????

5 comments:

  1. आजकल दिल भी बड़े महंगे हो गए हैं ....
    :)

    अनु

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  2. बदल रही है दुनिया धीरे धीरे ...

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  3. रूपया औंधे मुंह गिरा पड़ा है तो चावान्ने और अठन्नी की क्या बिसात

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  4. पुरानी यादें ताजा हो गयी .........

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  5. अब सिर्फ चवन्नी की यादें बाकी है,
    बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,

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