रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Wednesday, June 13, 2012
तो क्या हुआ.....
उम्र भर तेरे साथ-साथ रहेगी
मेरी ये वफा
हमसफ़र न बन सके
तो क्या हुआ...
तेरी यादों को सीने से लगाए
जिंदगी कट ही जाएगी
तेरे सिवा किसी और के न हो सके
तो क्या हुआ......
......इस उत्कृष्ट रचना के लिए ... बधाई स्वीकारें आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
10 comments:
यही तो मोहब्बत है......................
अनु
जिंदगी कट ही जाएगी
तेरे सिवा किसी और के न हो सके
तो क्या हुआ......
यही तो प्रेम है,,,,,
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,
बहुत खूब
क्या बात है....
बहुत सुन्दर विचार,
कुँवर जी,
जिंदगी यूं काटना आसान तो नहीं ... पर शायद कट ही जाए ...
......इस उत्कृष्ट रचना के लिए ... बधाई स्वीकारें
आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
बहुत सार्थक प्रस्तुति!
बहुत सुन्दर....
सादर.
yahi to nihswarth pyar hai...jo kismat valon ko nasib hoti hai....
सारी नज्में एक साथ कैसे पढ़ी गयी | मैं नहीं जानता | पाठक को खीच लेना ही इनकी ताक़त है |
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