Monday, April 9, 2012

बैंगनी फूल....




बैंगनी फूलों वाले पेड़ ने
उस दि‍न
अपनी छोटी-छोटी कलि‍यां
बरसा कर
कहा मुझसे.....
मैं भी तो अच्‍छा लगता हूं
तुम पर....खुद में
और धरती पर अपनी पंखु़ड़ि‍यां बि‍खेरकर भी...
फि‍र हर वक्‍त
टेसू, गुलमोहर और अमलताश की
बातें क्‍यों करती हो.....
माना मेरा रंग
उन जैसा चटख नहीं....सुंदर नहीं
पर मैं भी खि‍लता हूं
यहां-वहां....तुम्‍हारी गली में भी
जाते हुए बसंत में भी
गुलमोहर के खि‍लने से पहले.....
क्‍यों नहीं समेटती तुम
मेरे बैंगनी फूल अपने आंचल में
मुझे भी उतना ही मान दो
जि‍तना
औरों को देती हूो........।

8 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह................

रश्मि जी कमाल कर दिया आपने...............
जाने कहाँ से सुन लीं आपने इन बैंगनी फूलों की बात............

बहुत सुंदर.

दिगम्बर नासवा said...

मीठा सा उल्हाना ..

dr.mahendrag said...

EK ACHHI BHAV POORNA KAVITA

jadibutishop said...

nice ....sundar rachna...
http://jadibutishop.blogspot.com

poonam said...

kitni sunder baat kahi aapne....dil ko chuti rachnaa

Nirantar said...

asantushtee aur ichhaa kaa ant nahee hotaa...
baingnee phool khushkismat hein aapne yaad to kiyaa...

सदा said...

वाह ...लाजवाब लिखा है

avanti singh said...

bahut hi umda aur bhaavpurn rachna,bdhaai aap ko