Tuesday, March 20, 2012

कहां चली जा रही हो चि‍रैया.......


(((...वि‍श्‍व गौरैया दि‍वस पर कुछ यादें...)))

.......लगभग छह वर्ष की लड़की गर्मी की छुट़टि‍यों में नानी घर गई। एकदम सुबह चीं..चीं...चीं की आवाज से उसकी आंख खुल गई। उसने देखा...कमरे के छज्‍जे पर एक घोसला है और एक गौरेया फुदकती सी....कभी खि‍ड़की से अपने घोसलें तब जाती.....फि‍र वहां से खि‍ड़की के रास्‍ते बाहर फुर्र..र..र हो जाती। जब वापस आती तो उसकी चोंच में छोटे-छोटे ति‍नके होते। लड़की वह बड़ी गौर से अपनी बि‍स्‍तर पर लेटकर सारी प्रक्रि‍या कौतूहल के साथ देखती रही। थोड़ी देर बाद उसने महसूस कि‍या कि‍ घर का आंगन चि‍ड़ि‍यों के चहचहाने से गुलजार हो गया है। उसे बड़ा अच्‍छा लगा। इतनी सुबह उठने की आदत नहीं थी उसे मगर....चहचहाहट की इस आवाज ने उसकी जि‍ज्ञासा बढ़ा दी और वह चुपके से दबे पांव बाहर जाने लगी। उसे आता देख नानी ने चुप से इशारा कि‍या....शी..शी....ध्‍यान से। देखना कहीं तुम्‍हें देखकर सब उड़ न जाएं। उसने सर हि‍लाकर नानी को नि‍श्‍चिंत कि‍या और धीमे से आंगन में उतर आई। देखा.......ढेर सारी गौरैया आंगन में बि‍खरे दानों को चुग रही है और पानी से भरे बाल्‍टी और टब में नहाकर नि‍कलते हुए शोर मचा रही है। उसे बड़ा अच्‍छा लगा ये सब। पहली बार जो देखा था। थोड़ी देर बाद सारी गौरया उड़ गई और आंगन सूना हो गया।
इसके बाद लड़की कमरे में गई। देखा...अपने घोसलें को बनाने के लि‍ए ति‍नके ढो कर लाने के क्रम में ढेर सारे ति‍नके कमरे में गि‍रे हुए हैं और नानी झाड़ू से उन्‍हें समेट रही है। यह देखकर लड़की ने अपनी नानी से कहा- नानी, इन घोसलों को हटा क्‍यों नहीं देती। देखो तो....सारा घर गंदा कर दि‍या इसने। तब नानी से हंसते हुए कहा....नहीं रे...घर में चि‍ड़ि‍यों का घोसला बनाना अच्‍छी बात होती है। कहते हैं इससे घर में लक्ष्‍मी आती है। इसलि‍ए मैं कभी कि‍सी चि‍ड़ि‍ये को घोसला बनाने से नहीं रोकती। क्‍या हुआ जो घर गंदा होता है। वैसे भी साफ-सफाई करनी होती है...एक के बजाय दो बार कर लूंगी। फि‍र कहा....तुमने देखा न...कितना अच्‍छा लगता है जब इनकी चहचहाहट से नींद खुलती है तो। और जब ये मेरे आंगन में उतरती है तो लगता है सूने घर में ढेर से मेहमान चले आए हैं। और मेहमान तो भगवान होते हैं न पगली। इसलि‍ए तुम भी इन्‍हें दाना खि‍लाया करो....गर्मियों में पानी दि‍या करो। देखो....ये तुम्‍हारी दोस्‍त बन जाएंगी।
मुझे नानी की वो सीख आज तक याद है और रोज चि‍ड़ि‍यों को दाना डालती हूं....पानी भी। मगर अब ये खत्‍म हो रही हैं क्‍योंकि जैसी सीख नानी से उस लड़की को यानी मुझे दी.....वैसी शायद सबको नहीं मि‍ली होगी।
मैं तो अब भी गर्व से कहती हूं....जि‍न्‍हें गौरैया देखना है वो मेरी छत पर आ जाएं। उन्‍हें गौरैये के साथ-साथ कबूतर, कौवे, और भी कई चि‍ड़ि‍यां नजर आ जाएंगी। क्‍योंकि मैं उन्‍हें दाना-पानी देती हूं। क्‍या आप सब नहीं बचाएंगे इन प्‍यारी गौरैयों को ????

16 comments:

  1. मेरा बगीचा तो गौरैयों के शोर से हिला रहता है...
    खूब पानी..ढेर सा दाना....
    आश्रय ....बिल्ली से सुरक्षा....
    सब देती हूँ...बहुत खुशी होती है..

    सार्थक लेखन के लिए बधाई.

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  2. बढ़िया रचना ! गौरैया और अन्य पक्षियों पर मैंने भी अपने ब्लॉग पर एक श्रंखला लिखी है. कभी पधारिये मेरे ब्लॉग पर www.bebkoof.blogspot.com

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  3. सार्थकता लिए हुए उत्‍कृष्‍ट लेखन
    कल 21/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    ... मुझे विश्‍वास है ...

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  4. sarthak post aabhar .NAVSAMVATSAR KI HARDIK SHUBHKAMNAYEN !shradhey maa !

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  5. काश,सब की सोच इस प्रकार की होती !

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  6. इन प्यारे-प्यारे पक्षियों के बचाने के हर एक संभव कोशिश होनी चाहिए.. बढ़िया आलेख!

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  7. इन प्यारे-प्यारे पक्षियों के बचाने के हर एक संभव कोशिश होनी चाहिए.. बढ़िया आलेख!

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  8. इश्वर की दया से एक सुन्दर सा बगीचा है ...छायादार पेड़ हैं ...जहाँ किस्म किस्म की चिड़ियाँ आती रहती हैं...गौरयाएं भी ...एक पुरानी सुराही का मूंह तोड़कर ..पानी भर देती हूँ .....चहचहाती रहती हैं.....

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  9. सार्थक संवेदनशील प्रस्तुति...
    सादर

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  10. अरे वाह !
    सुना ही नहीं था गौरैया दिवस के बारे में तो

    हमारे यहां भी चिड़ियों के घोंसले को अच्छा माना जाता है ...

    सुंदर प्यारी पोस्ट के लिए आभार !


    ~*~नव संवत्सर की बधाइयां !~*~
    शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  11. बहुत खूब!
    आपकी यह पोस्ट है प्रिंट मीडिया में
    देखिये Blogs In Media

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  12. आपकी ये पोस्ट पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा , मैंने भी गौरेयाओ के संरक्षण के लिए एक छोटा-सा ब्लॉग शुरू किया है। आशा है की आप इस ब्लॉग पर एक बार अवश्य पधारेंगी । धन्यवाद
    मेरा ब्लॉग पता है:- gaureya.blogspot.com

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