1. मन
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''वातावरण में
है तपिश
और
क्षुब्ध है
मन.....
परायों से
घबराया हुआ
और
अपनों से
उबा हुआ है
मन.....''
2. अंधेरा
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''मैं भागती रही हूं
हमेशा
अंधेरों की तरफ
उजाले को छोड़.....
और आप
हर बार
खींच लिए चलते हैं
मुझको, मेरी उंगली पकड़
अंधेरों से
उजाले की ओर.....''
3.वफा
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"वफाओं से छुड़ा लो दामन
ज़फा जमाने का दस्तूर है
ऐतबार करो जिस पर
वो फरेब देता जरूर है.... ''
12 comments:
salaam
दर्द-ऐ-दिल मन से
बयां किया आपने
दीवानगी का
सबूत दिया आपने
Aitbar karo jis par wo fareb deta jaroor hai....
AAJ WAFA KA ARTH HI YAHI RAH GAYA HAI,PARIBASHA BADAL GAYE HAI
CHHANIKAYE HAI PAR BADI BHAV PURNA
दिल को छू लेने वाली क्षणिकाएं, आभार
waah...bahut khoob.
तीनों ही टुकडे , नगीने हैं ..बहुत ही खूबसूरती से आपने मन अंधेरा और वफ़ा के दोनों पहलुओं से रूबरू करा दिया । कम में बहुत कह जाने की कला आपसे सीखी जा सकती है । शुक्रिया और शुभकामनाएं
मैं भागती रही हूं
हमेशा
अंधेरों की तरफ
उजाले को छोड़.....
और आप
हर बार
खींच लिए चलते हैं
मुझको, मेरी उंगली पकड़
अंधेरों से
उजाले की ओर
Bahut Sundar!
बहुत ही सुन्दर कहा।
बहुत खूब
बहुत ही सुन्दर!!
बेहतरीन भाव।
सुंदर रचना।
"वफाओं से छुड़ा लो दामन
ज़फा जमाने का दस्तूर है
ऐतबार करो जिस पर
वो फरेब देता जरूर है.... ''
GAHRA TAJURBA ....BAHUT HI KHOOB SOORAT ....BADHAI.
अनुभव से उपजी बातें। प्रायः,हम सबके जीवन का अनुभव।
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