रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Thursday, January 12, 2012
शिकवा......
मुलाकात जब हुई तो
भर आए अश्क दोनों के
मेरा शिकवा कुछ था
आपकी शिकायत कुछ और थी
कहते-कहते रूक गए कुछ
लब हम दोनों के
आप खामोश थे मेरे लिए
मेरी चुप की वजह कुछ और थी.....।
9 comments:
रश्मि जी बहुत ही सुंदर रचना, हमेशा की तरह निशब्द !
आभार !!
सुन्दर रचना, ख़ूबसूरत भावाभिव्यक्ति,बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधार कर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें, आभारी होऊंगा.
सुंदर भावो कि बेहतरीन अभिव्यक्ती..
ख़ामोशी की वजह क्या है ?
kay kahane....bahut hi sunadr prastuti
ख़ामोशी को ही कुछ कहने दो ....
खूबसूरत रचना के लिए बधाई.
बहुत सुन्दर !
चंद पंक्तियाँ चार चाँद !
achha likhti hain aap...safar mein rahiye..manzil ki chaah ke bina..
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