Tuesday, December 20, 2011

साथ का अहसास....

तन्‍हा थी पहले भी तन्‍हा आज भी हूं, बस एक ख्‍याल था कि‍ तुम साथ चल रहे हो बहते हुए अश्‍कों को खुद ही पोंछा था हमने बस एक अहसास था कि‍ तुम साथ रो रहे हो अब तो बस... ढलती शाम है और भीगी-भीगी सी रात है तन्‍हा ख्‍यालों का सफर और आंखें उदास अब नहीं है मुझको यह अहसास कि‍ तुम साथ चल रहे हो.......।

11 comments:

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

रश्मि,अगर इसे यूँ सजा दिया जाए तो क्या थोडा और अच्छी लगे ना....क्या नहीं....??

तन्‍हा थी पहले भी
तन्‍हा आज भी हूं
बस एक ख्‍याल था
कि‍ तुम साथ चल रहे हो
बहते हुए अश्‍कों को
खुद ही पोंछा था हमने
बस एक अहसास था
कि‍ तुम साथ रो रहे हो
अब तो बस...
ढलती शाम है
और भीगी-भीगी सी रात
तन्‍हा ख्‍यालों का सफर
आंखें उदास अब नहीं है
मुझको यह अहसास
कि‍ तुम साथ चल रहे हो.......।

Nirantar said...

badhiyaa
saath hone kaa ahsaas hee to man kaa vishvass badhaataa hai

ashokjairath's diary said...

पड़ोस की मासूम लड़की सा मन है आपका ... बात सुनकर जी चाहता है कहें ...'आओ बाहर बेंच पर बैठ बात करें' बहुत अच्छा लिखा है बेटा ... खुश रहें ... प्यार और आशीर्वाद ...

Gyan Darpan said...

बहुत बढ़िया रचना

Gyan Darpan
.

डॉ. मोनिका शर्मा said...

साथ का अहसास भी बहुत सहारा देता है मन को..... सुंदर भाव

कुमार संतोष said...

Waah. . !!
Sunder panktiyan andar tak utar gai.

Aabhaar . . . !

Atul Shrivastava said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......

Asha Lata Saxena said...

सुन्दर भावपूर्ण रचना |
आशा

मेरा मन पंछी सा said...

kisi ke sath hone ka ahsas bahut accha lagata hai...
sudar ahsas ,
sundar rachana...

Nazeel said...

बहुत बढ़िया रचना रशिम जी .......

Nazeel said...

दिल को छू लेने वाली रचना है रशिम जी आपकी .......हार्दिक बधाई