बताओ न.....
सुर्ख फूलों से
कब तक भरा रहेगा
मेरा आंगन....
और
कब तक गूंजेगा
मेरे कानों में
गौरयों के चहचहाने का स्वर...
क्या नीले आकाश में
हमेशा,
यूं ही अचानक
उगा करेगा
मेरे सपनों का इन्द्रधनुष...
बताओ न
कब तक रहेगा
तुम्हारे प्यार का मौसम ??
बहुत अहम है
यह सवाल
क्योंकि
जब खत्म हो जाएगा
तुम्हारे प्यार का मौसम
सारे फूल
झड़ जाएंगे डालों से
और छोड़ जाएंगी
गौरैया भी
मेरा आशियाना....
तब
लगातार होगी बारिश
मगर
सात रंगों का
नहीं उगेगा
आकाशी इंद्रधनुष।
इसलिए जरूरी है
कि तुम्हारे प्यार का मौसम
जब खत्म होने वाला हो
उससे पहले
कुछ फूलों को
अपने आंचल में भर लूं...
पक्षियों के कलरव को
यादों में समेट लूं...
और तुम्हारे प्यार के
सप्तरंग को
अपने कमरे की दीवारों में
चिपका दूं
ताकि
चलती सांस तक
यह अहसास कायम रहे
कि तुम्हारा प्यार
मौसम की तरह
नहीं बदला करता... वो पलता है
हमारे अंतस में
......शाश्वत
सूरज-चांद की तरह.....।
सुर्ख फूलों से
कब तक भरा रहेगा
मेरा आंगन....
और
कब तक गूंजेगा
मेरे कानों में
गौरयों के चहचहाने का स्वर...
क्या नीले आकाश में
हमेशा,
यूं ही अचानक
उगा करेगा
मेरे सपनों का इन्द्रधनुष...
बताओ न
कब तक रहेगा
तुम्हारे प्यार का मौसम ??
बहुत अहम है
यह सवाल
क्योंकि
जब खत्म हो जाएगा
तुम्हारे प्यार का मौसम
सारे फूल
झड़ जाएंगे डालों से
और छोड़ जाएंगी
गौरैया भी
मेरा आशियाना....
तब
लगातार होगी बारिश
मगर
सात रंगों का
नहीं उगेगा
आकाशी इंद्रधनुष।
इसलिए जरूरी है
कि तुम्हारे प्यार का मौसम
जब खत्म होने वाला हो
उससे पहले
कुछ फूलों को
अपने आंचल में भर लूं...
पक्षियों के कलरव को
यादों में समेट लूं...
और तुम्हारे प्यार के
सप्तरंग को
अपने कमरे की दीवारों में
चिपका दूं
ताकि
चलती सांस तक
यह अहसास कायम रहे
कि तुम्हारा प्यार
मौसम की तरह
नहीं बदला करता... वो पलता है
हमारे अंतस में
......शाश्वत
सूरज-चांद की तरह.....।
6 comments:
एक माली नई नई कोंपलों को झरने की पतली पैनी बूंदों से नेहलाता ... वही उगाता है कोम्प्ले और वही उनको सोना सोना बनाता है ... बोलो कौन ... बोलो न ...
"रश्मि"
कभी दिल में उतरती है
कभी आँखों को भरती है
तुम्हारी बात कैसे दिल के कोनों में उतरती है
बधाई सुन्दर कविता के लिए
अच्छी प्रस्तुति
Gyan Darpan
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वाह क्या खूब लिखा है…………सुन्दर सोच सुन्दर रचना
चलती सांस तक
यह अहसास कायम रहे
कि तुम्हारा प्यार
मौसम की तरह
नहीं बदला करता... वो पलता है
हमारे अंतस में
......शाश्वत
सूरज-चांद की तरह.....।
आपकी कविता एक संवाद कायम करती हुए आगे बढती है और अंतिम पंक्तियों में एक विश्वास से भरी आशा की तरफ बढती है ...निश्चित रूप से आपके लेखन में एक गहरी संवेदना उभर आई है .....!
चलती सांस तक
यह अहसास कायम रहे
bahut khoob
ye pyar ka mausam kabhi khatm na ho...
kamal bhavo se likhi behtarin rachana hai...
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