उस रात
मेरी गलियों में
चांदनी का डेरा था
दूधिया रौशनी ने
हर तरफ
अपना शबाब बिखेरा था
रात का था
तीसरा पहर
जब हुई थी दस्तक
मेरे दरवाजे पर.....
अधमुंदी आंखों से
देखा मैंने
धीमी-धीमी थपकियों को
पहचाना मैंने
नहीं....वो झोंका नहीं था
मस्त बयारों का
ना ही
कोई भ्रम....
वो तुम थे
जो चांद से
पूछ रहे थे
मेरा पता....
जब देखा
चांद के बहाने तुमने
मेरे छत पर
चांदनी गुनगुना उठी
महमहा उठा
मेरे आंगन का मोगरा
और मैं
तेरे-मेरे बीच के
फास्ले को
आंखो ही आंखों में लांघ् कर
जा पहुंची
वहां....जहां
कदम थम जाते हैं
चलती है पुरवाईयां
और
प्रेम लेता है अंतहीन अंगड़ाइयां......।
मेरी गलियों में
चांदनी का डेरा था
दूधिया रौशनी ने
हर तरफ
अपना शबाब बिखेरा था
रात का था
तीसरा पहर
जब हुई थी दस्तक
मेरे दरवाजे पर.....
अधमुंदी आंखों से
देखा मैंने
धीमी-धीमी थपकियों को
पहचाना मैंने
नहीं....वो झोंका नहीं था
मस्त बयारों का
ना ही
कोई भ्रम....
वो तुम थे
जो चांद से
पूछ रहे थे
मेरा पता....
जब देखा
चांद के बहाने तुमने
मेरे छत पर
चांदनी गुनगुना उठी
महमहा उठा
मेरे आंगन का मोगरा
और मैं
तेरे-मेरे बीच के
फास्ले को
आंखो ही आंखों में लांघ् कर
जा पहुंची
वहां....जहां
कदम थम जाते हैं
चलती है पुरवाईयां
और
प्रेम लेता है अंतहीन अंगड़ाइयां......।
10 comments:
Fantastic, Fantabulas...behatarin abhibayakti jinhe aapne sabdo ke madhyam se darshaya hai apne blog main.........thanks for sharing
पता नहीं मेरी पहले की टिप्पणियां क्यूँ नहीं दिख रही हैं... फिर भी मैं अपना काम करता रहूँगा|| कमेंट्स देने का| :) वाकई बेहद अच्छा लिखती हैं आप | खूबसूरत एहसासों की खूबसूरत अभिव्यक्ति... कुल मिलकर एक और खूबसूरत रचना |
सच कहूँ तो न जाने कितने एहसासात मेरे मन के भीतर भी जन्म लेकर वहीँ दफन हो गए | उन्हें मैं शब्दोँ के जाल में पिरोने में नाकाम रहा | काश, ये कला मुझमे भी होती!!
अंत में .. एक और सुन्दर रचना के लिए -बधाई!!
बहुत खूबसूरत रचना.
सादर
एक सुन्दर रचना सीलेपन सी नज़र आती है अंतर की दीवारों पर ... आपका लिखा हमेशा ऐसा ही होता है ... खुद से बहस शुरू हो जाती है ... खूबसूरत ... आशीर्वाद ...
भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ रश्मी जी.
मेरी रचनाये पढने के लिए इस लिंक पे क्लिक कीजिये
http://dilkikashmakash.blogspot.com/
real good
आपकी इस उत्कृष्ट अभिव्यक्ति की चर्चा कल रविवार (27-04-2014) को ''मन से उभरे जज़्बात (चर्चा मंच-1595)'' पर भी होगी
--
आप ज़रूर इस ब्लॉग पे नज़र डालें
सादर
हमेशा की तरह उम्दा !
वाह बेहद सुंदर भाव पूर्ण रचना . मैं आपकी रचनाओं की प्रशंशिका हूँ .कभी मेरे ब्लॉग पर भी आयें जहाँ आपको लघु कथा संसार मिलेगा .
https://shortncrispstories.blogspot.in/2015/04/1.html
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