डूबी हूं तुममें
तुम्हारे
स्पर्श की कोमलता में
जिसने
बेशब्द हो बताया.....
बार-बार जताया
कि
दिल का प्यार
जब हाथों में
उतरता है
तो स्पर्श
और भी
कोमल हो जाता है
तब
प्यार की भीनी खुश्बू
तन-मन को
महकाती है
न चाहो फिर भी
आंखों से
छलक-छलक जाती है
फिर
जागती आंखों का
सपना भी
सच लगता है
और
तुम्हारे स्पर्श से
अंधेरे का सूरजमुखी
भी
खिल-खिल उठता है....।
तुम्हारे
स्पर्श की कोमलता में
जिसने
बेशब्द हो बताया.....
बार-बार जताया
कि
दिल का प्यार
जब हाथों में
उतरता है
तो स्पर्श
और भी
कोमल हो जाता है
तब
प्यार की भीनी खुश्बू
तन-मन को
महकाती है
न चाहो फिर भी
आंखों से
छलक-छलक जाती है
फिर
जागती आंखों का
सपना भी
सच लगता है
और
तुम्हारे स्पर्श से
अंधेरे का सूरजमुखी
भी
खिल-खिल उठता है....।
5 comments:
ये खिलने का भाव कोमल है और सुंदर भी। इस कोमलता को बनाए रखो, कविता खुद-ब-खुद सुंदर लगने लगती है
बहुत सुंदर प्रेममयी रचना अच्छी लगी
स्पर्शमयी सुन्दर रचना
sundar momal bhavnaon ke prastuti..
sundar momal bhavnaon ke prastuti..
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