जब ढलती है शाम तो
सफेद बादल का एक टुकड़ा
मेरी छत की मुंडेर पर
आकर झांकता है
तुम्हारी यादों की तरह......।
और... लालिमा में लिपटी
पीली शाम
सफेद बादल का एक टुकड़ा
मेरी छत की मुंडेर पर
आकर झांकता है
तुम्हारी यादों की तरह......।
और... लालिमा में लिपटी
पीली शाम
मोगरे के फूलों सी
महकने लगती है
तुम्हारी यादों से.....।
और मैं
शाम व सुगंध के तानेबाने में
उलझी सी
सोच में गुम हो जाती हूं
पहुंच जाती हूं वहां
सोच में गुम हो जाती हूं
पहुंच जाती हूं वहां
जहां सिर्फ तुम हो
और हैं....
तुम्हारी यादें।
yadon ka sunhara sajeev ruphala chitran..
ReplyDeletebahut badiya pyarbhari prastuti..
सपनों के दिनों में यादों की भीड़ ... अचरज होता है ... यादों कि डालियों पे रंगबिरंगे फूल खिलाती हो ... एक बात कहें ... तुम्हारे खिलाए फूलों से आवाजें आती हैं ... गुनगुनाहट और गूँज सुनाई देती है ... प्यार और आशीर्वाद ...
ReplyDelete