Tuesday, August 23, 2011

प्‍यार क्‍या है

एक उम्र लगती है
मझने में यह बात
ि प्यार आखि
होता है क्या....
और कैसा होता है...
जिंदगी में एक वक्
ऐसा भी होता है
जब प्यार दि के बागीचे में
घास सा रोज उग आता है
या चांद सा चेहरा देख
और देखकर अदाएं
बार-बार...कुछ अंतराल में
कुछ हो सा जाता है
मन खो सा जाता है
मगर जब पकती है उम्र तो
प्यार भी पकता है
गहराता है...
अंतरआत्मा में
उतर-उतर सा जाता है
ऐसा प्यार
रोज नहीं उगता
वह तो बरगद सा पनपता है
धीरे-धीरे
जितना अंदर....उतना बाहर
और गुजरते वक् के साथ
मजबूत होता जाता है
ऐसा प्यार रोज नहीं होता
ये बात अलग है कि
वक् रहते इंसान
समझ नहीं पाता
किये प्यार कैसा होता है
और जब उम्र गुजरती है तो
समझ आता है
कि, अरे.....हममें तो जो कुछ था
वही तो प्‍यार था....सच्‍चा प्‍यार।

6 comments:

  1. सही कहा आपने यह प्यार ही ऐसा हैं ! सुंदर अभिव्यक्ति बधाई

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  2. प्यार क्या है ..इस रचना के द्वारा आपने बखूबी से प्रस्तुत किया है .......सुन्दर रचना

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  3. बहुत सारगर्भित, दिल का भोगा हुआ दर्द सरीखा...आभार।

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  4. प्यार को पहचानते कभी पूरी उम्र गुजर जाती है ...
    सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  5. अद्वितीय रचना रश्मि जी!!! एक बात तय कि प्यार सभी को होता है.. उम्र कोई मायने नहीं रखता, परिस्थितिया कोई मायने नहीं रखती ... हाँ प्रेम की अभिव्यक्ति परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं .... न जाने कितनी प्रेम कहानियां अनकही रह गयी होंगी... बेचारी परिस्थितियों की शिकार !!!!

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