मन में उमड़ते इन अथाह बातों का
जो न जुबां पर आते हैं
न ही मन की अतल गहराइयों में
खामोश रह पाते हैं.......
बेचैन हो ये दिल पुकारता है तुम्हें
और हम कुछ सोए.....जागे
खुद को ही सब कह जाते हैं
और हम कुछ सोए.....जागे
खुद को ही सब कह जाते हैं
जो शायद तुमको न
कह पाएंगे कभी......
कह पाएंगे कभी......
मगर भी
न नींद आती है, न लबों से आह जाती है
कोई लगाता है सपनों में गोते
और हम......तारों से
कोई लगाता है सपनों में गोते
और हम......तारों से
बातें करते रह जाते हैं........।
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