रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
बहुत खूब ..
इस कदर रात भर याद आते रहे नींद आँखों से मेरी उड़ाते रहे चल ना दें हम कहीं ऐसी दुनिया से अब आप यूं ही अगर आजमाते रहे धृष्टता के लिए क्षमा प्रार्थी है ... मन ने ऐसे सुना ... बता दिया ... आप अच्छा लिखती हैं ... हम से तो बहुत अच्छा ... प्यार और आशिर्वाद ...
अंधी आवाजों की इक भीड़ जुटी जाती हैजैसे हों जाए औरतों का मोहल्ला सा दिल शोर ऐसा कि फट जाएँ कान के परदे और बदनाम सी हलचल कोई नाइटी पहने दिल की सड़कों पे आवारा डोलती घूमे लोग इस तरह से आ सबको आजमाते हैं जैसे बेरहम सा नश्तर सा कोई चुभने लगे
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ReplyDeleteइस कदर रात भर याद आते रहे
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चल ना दें हम कहीं ऐसी दुनिया से अब
आप यूं ही अगर आजमाते रहे
धृष्टता के लिए क्षमा प्रार्थी है ... मन ने ऐसे सुना ... बता दिया ... आप अच्छा लिखती हैं ... हम से तो बहुत अच्छा ... प्यार और आशिर्वाद ...
अंधी आवाजों की इक भीड़ जुटी जाती है
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शोर ऐसा कि फट जाएँ कान के परदे
और बदनाम सी हलचल कोई नाइटी पहने
दिल की सड़कों पे आवारा डोलती घूमे
लोग इस तरह से आ सबको आजमाते हैं
जैसे बेरहम सा नश्तर सा कोई चुभने लगे