Saturday, June 18, 2011

आप याद आते रहे


इस कदर रात भर आप मुझे
याद आते रहे
रातों की नींद यूं ही
उड़ाते रहे,
हो जाएंगे एक दि‍न
इस दुनि‍यां से रूखसत
गर यूं ही आप मुझे
आजमाते रहें

3 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ..

ashokjairath's diary said...

इस कदर रात भर याद आते रहे
नींद आँखों से मेरी उड़ाते रहे
चल ना दें हम कहीं ऐसी दुनिया से अब
आप यूं ही अगर आजमाते रहे

धृष्टता के लिए क्षमा प्रार्थी है ... मन ने ऐसे सुना ... बता दिया ... आप अच्छा लिखती हैं ... हम से तो बहुत अच्छा ... प्यार और आशिर्वाद ...

ashokjairath's diary said...

अंधी आवाजों की इक भीड़ जुटी जाती है
जैसे हों जाए औरतों का मोहल्ला सा दिल
शोर ऐसा कि फट जाएँ कान के परदे
और बदनाम सी हलचल कोई नाइटी पहने
दिल की सड़कों पे आवारा डोलती घूमे

लोग इस तरह से आ सबको आजमाते हैं
जैसे बेरहम सा नश्तर सा कोई चुभने लगे