रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Sunday, May 15, 2011
हमारा क्या ....
''ये गम सताता है आपको कि आपका आशियां उजड़ गया कुछ हम जैसों का भी सोचिए कि इस दुनिया में हमारा क्या रह गया एक-दो मौसम ही सही बहारें तो आई थीं आपके चमन में इक हम हैं कि बिन बसे उजड़े हमारे दामन में सिवा गम के और क्या रह गया ?''
अपनी एक कहानी
ReplyDeleteआओ
हमें सुनाओ
चित्रा ने भी एक कहानी
हमें कही थी
विभा से पूछ लेना
गलत मत समझना
हमारे मन में चित्र कहीं नहीं है
हम से जी चाहे तो बात करो