Friday, August 8, 2008

हमारी बारी


रात गुजरी नहीं
हमने आंखों में गुजारी है
आस्‍मां रो चुका है
अब हमारी बारी है

क्‍या करना है हमें
दि‍खाकर अपने अश्‍क
दर्द देने वाले
जब यही मर्जी तुम्‍हारी है

21 comments:

  1. बहुत ही ह्रदयस्पर्शी.
    उम्दा...बेहतरीन....

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  2. बहुत ही ह्रदयस्पर्शी.
    उम्दा...बेहतरीन....

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  3. रात गुज़री नहीं
    हमने आँखों में
    गुज़ारी है ....


    अच्छा है.

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  4. बहुत उम्दा, क्या बात है!

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  5. बहुत ही सुन्दर कविता हे,धन्यवाद

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  6. रात गुजरी नहीं हमने आंखों में गुजारी है
    आसमां रो चुका है अब हमारी बारी है।

    क्या बात है खूब लिखा है। लेकिन हो सके तो थिंक
    पॉजिटिव।
    रात गुजरी नहीं हमने आंखों में गुजारी है
    आसमां को देख देख लगा चांदनी हमारी है।

    अन्यथा ना लें, गलत लगे तो माफी।

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  7. जितना सुंदर चित्र उतनी ही सुंदर आप की रचना है...बहुत अच्छे से आपने अपने भाव व्यक्त किए हैं...बधाई.
    नीरज

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  8. आप सभी का धन्‍यवाद। जब यूं ही लि‍खी पंक्‍ि‍‍तयां आप पसंद करते है तो एक अलग सी खुशी मि‍लती है।

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  9. very nice blog ....
    bahut hi khoobsurat likha hai aapne.....

    pls visit my blogs too

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    thank you

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  10. सुंदर लिखा है....और क्‍यों नहीं लिखतीं।

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  11. Bahut hi sundar bhav. Niyamit lekhan ki shubhkaamnayein.

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  12. ab hamari bari he .bahut hi sundar.mithas lakin udasi liye hue.

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  13. सुन्दर चित्र के साथ ..बेहतरीन रचना !!! बधाइयाँ !!

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  14. साहिर साहब की एक नज़्म याद आ रही है ... चाँद मद्धम है आसमा चुप है ... लता ने गया भी है ... क्या सुनेंगी ... जो कविता एक और कविता को बुला लाये , वो निश्चित ही अच्छी होगी ... खुश रहें ...

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  15. मार्मिक.अति भावपूर्ण शब्दों में.

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