रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
बहुत ही ह्रदयस्पर्शी.उम्दा...बेहतरीन....
रात गुज़री नहीं हमने आँखों में गुज़ारी है ....अच्छा है.
bahut accha likha hai
बहुत उम्दा, क्या बात है!
बहुत ही सुन्दर कविता हे,धन्यवाद
रात गुजरी नहीं हमने आंखों में गुजारी हैआसमां रो चुका है अब हमारी बारी है।क्या बात है खूब लिखा है। लेकिन हो सके तो थिंकपॉजिटिव।रात गुजरी नहीं हमने आंखों में गुजारी हैआसमां को देख देख लगा चांदनी हमारी है।अन्यथा ना लें, गलत लगे तो माफी।
जितना सुंदर चित्र उतनी ही सुंदर आप की रचना है...बहुत अच्छे से आपने अपने भाव व्यक्त किए हैं...बधाई.नीरज
bahut achchi rachna.....
आप सभी का धन्यवाद। जब यूं ही लिखी पंक्ितयां आप पसंद करते है तो एक अलग सी खुशी मिलती है।
सुंदर लिखा है....और क्यों नहीं लिखतीं।
अरे वाह.............गज़ब..........!!
Bahut hi sundar bhav. Niyamit lekhan ki shubhkaamnayein.
ab hamari bari he .bahut hi sundar.mithas lakin udasi liye hue.
blog ka writer kab tak lautega...
सुन्दर चित्र के साथ ..बेहतरीन रचना !!! बधाइयाँ !!
good one.
साहिर साहब की एक नज़्म याद आ रही है ... चाँद मद्धम है आसमा चुप है ... लता ने गया भी है ... क्या सुनेंगी ... जो कविता एक और कविता को बुला लाये , वो निश्चित ही अच्छी होगी ... खुश रहें ...
मार्मिक.अति भावपूर्ण शब्दों में.
sirf ek shbd kahna hai ,WAAH!
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बहुत ही ह्रदयस्पर्शी.
ReplyDeleteउम्दा...बेहतरीन....
बहुत ही ह्रदयस्पर्शी.
ReplyDeleteउम्दा...बेहतरीन....
रात गुज़री नहीं
ReplyDeleteहमने आँखों में
गुज़ारी है ....
अच्छा है.
bahut accha likha hai
ReplyDeleteबहुत उम्दा, क्या बात है!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता हे,धन्यवाद
ReplyDeleteरात गुजरी नहीं हमने आंखों में गुजारी है
ReplyDeleteआसमां रो चुका है अब हमारी बारी है।
क्या बात है खूब लिखा है। लेकिन हो सके तो थिंक
पॉजिटिव।
रात गुजरी नहीं हमने आंखों में गुजारी है
आसमां को देख देख लगा चांदनी हमारी है।
अन्यथा ना लें, गलत लगे तो माफी।
जितना सुंदर चित्र उतनी ही सुंदर आप की रचना है...बहुत अच्छे से आपने अपने भाव व्यक्त किए हैं...बधाई.
ReplyDeleteनीरज
bahut achchi rachna.....
ReplyDeleteआप सभी का धन्यवाद। जब यूं ही लिखी पंक्ितयां आप पसंद करते है तो एक अलग सी खुशी मिलती है।
ReplyDeleteसुंदर लिखा है....और क्यों नहीं लिखतीं।
ReplyDeleteअरे वाह.............गज़ब..........!!
ReplyDeleteBahut hi sundar bhav. Niyamit lekhan ki shubhkaamnayein.
ReplyDeleteab hamari bari he .bahut hi sundar.mithas lakin udasi liye hue.
ReplyDeleteblog ka writer kab tak lautega...
ReplyDeleteसुन्दर चित्र के साथ ..बेहतरीन रचना !!! बधाइयाँ !!
ReplyDeletegood one.
ReplyDeleteसाहिर साहब की एक नज़्म याद आ रही है ... चाँद मद्धम है आसमा चुप है ... लता ने गया भी है ... क्या सुनेंगी ... जो कविता एक और कविता को बुला लाये , वो निश्चित ही अच्छी होगी ... खुश रहें ...
ReplyDeleteमार्मिक.अति भावपूर्ण शब्दों में.
ReplyDeletesirf ek shbd kahna hai ,WAAH!
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