Sunday, June 8, 2008

हमें मालूम है


तुझे चाहने से क्‍या होगा
हमें मालूम है
ये जां इस जि‍स्‍म से जुदा होगा
हमें मालूम है

हम तड़पते हैं तड़पा करेंगे
हर वक्‍त मगर
तड़पोगे तुम भी तो कयामत होगा
हमें मालूम है

खाक में ‍मि‍लना है हमें
‍मिल जाएंगे खामोशी से
हक मोहब्‍बत का अदा कैसे होगा
हमें मालूम है

गुजरते वक्‍त की तरह हमें भी
भुला दोगे तुम
हमारे जाने के बाद क्‍या होगा
हमें मालूम है।

8 comments:

  1. हम तड़पते हैं तड़पा करेंगे
    हर वक्‍त मगर
    तड़पोगे तुम भी तो कयामत होगा.

    बहुत खूब !

    ReplyDelete
  2. इस कविता में तो दर्द है उसे महसूस कर रहा हूं। इस एहसास के लिए आपको बधाई।

    ReplyDelete
  3. बहुत बढ़िया तरीके से भावों को उतारा है.

    ReplyDelete
  4. कविता मे आपका ख्याल झलकता है ...लिखती रहे....

    ReplyDelete
  5. बहुत खूब ...अच्छा लगा ...बधाई

    ReplyDelete
  6. सादगी की भाषा में आपकी हर कविता दिल को छूती है... यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है... और यही आपकी खासियत है...

    ReplyDelete
  7. तुम अच्छी कविता लिखती हो
    हमे मालूम है
    आगे भी लिखोगी
    हमे मालूम है
    मेरा ब्लॉग देखोगी और कमेंट करोगी
    हमे मालूम है

    ReplyDelete
  8. हमें भी मालूम है, इस उम्र में ऐसा ही होता है.

    ReplyDelete

अगर आपने अपनी ओर से प्रतिक्रिया पब्लिश कर दी है तो थोड़ा इंतज़ार करें। आपकी प्रतिक्रिया इस ब्लॉग पर ज़रूर देखने को मिलेगी।